एस्ट्रो धर्म :



वैदिक ज्योतिष के अनुसार हर समय ग्रह-नक्षत्र अपनी चाल बदलते रहते हैं। इन ग्रहों की चाल बदलने से कभी शुभ तो कभी अशुभ योग का निर्माण होता रहता है। इस घटना से हमारे सभी तरह के मांगलिक कार्यों में इसका प्रभाव पड़ता है। वैदिक ज्योतिष में ग्रहों का अस्त और उदय होना एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। 31 मई से शुक्र वृष राशि में रहते हुए अस्त हो रहा है जो 9 जून को उदय होगा। शुक्र के अस्त होने की अवधि में किसी भी तरहा कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किया जा सकता है। अस्त हुए शुक्र के दौरान न सिर्फ शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं बल्कि इस दौरान न तो किसी से विवाह,व्यापार, जमीन संबंधी सौदे और नौकरी के प्रस्ताव पर चर्चा करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार साल में कुछ दिनों के लिए आकाश में कुछ ग्रह लुप्त हो जाते हैं। क्योंकि इस दौरान वे सूर्य के बहुत ही समीप पहुंच जाते हैं। इसे ही ग्रहों का अस्त कहा जाता है। 

शुक्र कब से कब तक रहेगा अस्त
शुक्र ग्रह वृषभ राशि में रहते हुए 31 मई से 8 जून तक सूर्य से 10 डिग्री से भी कम की दूरी पर रहेगा।  शुक्र के अस्त होने पर इस ग्रह का शुभ प्रभाव कम हो जाएगा। जिसके चलते शुक्र ग्रह से संबंधित से कार्य नहीं हो सकेगा। 8 दिनों तक शुक्र के अस्त होने तक 9 जून को फिर शुक्र उदय हो जाएगा।

वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह और इसका प्रभाव
ज्योतिष में शुक्र ग्रह को सुख, संपन्नता, ऐश्वर्य और विलासिता का कारक ग्रह माना जाता है। जिसकी कुंडली में शुक्र ग्रह मजबूत होता है उसका जीवन ऐशो-आराम से बीतता है। शुक्र ग्रह वैवाहिक जीवन पर असर डालने वाला ग्रह होता है। ऐसे में शुक्र ग्रह के अस्त होने पर किसी शुभ कार्य को करने पर सफलता नहीं मिलती। जब शुक्र अस्त होता है इस दौरान किसी भी तरह के शुभ और अच्छा काम नहीं किया जाता है। 

2 राशियों पर शुभ-अशुभ प्रभाव
शुक्र के अस्त होने पर कई राशियों पर इसका शुभ और अशुभ प्रभाव देखने को पड़ेगा।

शुभ प्रभाव- मेष, मिथुन, कर्क, कन्या और वृश्चिक
अशुभ प्रभाव- धनु, मकर और मीन
मिला-जुला असर- सिंह, तुला, वृषभ और  कुंभ

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