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Vat Savitri Vrat Puja Samagri list: Puja vidhi of vat savitri vrat ...

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Vat Savitri Vrat 2020: 22 मई को वट सावित्री व्रत है। यह पर्व हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। हालांकि, कई जगहों पर इसे ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने सुहाग के दीर्घायु होने के लिए व्रत-उपासना करती हैं। धार्मिक मान्यता है कि जो व्रती सच्ची निष्ठा और भक्ति से इस व्रत को करती हैं, उनकी न केवल सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, बल्कि पुण्य प्रताप से पति पर आई सभी बला टल जाती है।


वट सावित्री व्रत शुभ मुहूर्त
इस दिन शुभ मुहूर्त ब्रह्म बेला से लेकर रात के 11 बजकर 08 मिनट तक है। अतः आप दिन में किसी समय वट देव सहित माता सावित्री की पूजा आराधना कर सकते हैं। इस साल वट सावित्री व्रत पूजा के लिए आपको चौघड़िया तिथि की जरूरत नहीं पड़ेगी।
वट सावित्री व्रत का महत्व
इस दिन विशेष संयोग बना है। जब ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि जयंती और वट सावित्री व्रत भी मनाया जा रहा है। ऐसा कहा जाता है कि माता सावित्री पतिव्रता धर्म का पालन करते हुए अपने पति को यमराज के प्राण पाश से छुड़ाकर ले आई थी। अतः इस व्रत का अति विशेष महत्व है। इस दिन पूजा-उपासना करना विशेष फलकारी होती है।
वट सावित्री व्रत पूजा विधि
व्रती को चतुर्दशी के दिन से तामसी भोजन का परित्याग कर देना चाहिए। साथ ही खान-पान में लहसुन और प्याज का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसके अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ-सफाई करें। इसके बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान करें और सर्वप्रथम व्रत संकल्प लें। फिर पवित्र वस्त्र पहनें, और सोलह श्रृंगार करें। जब आप परिधान और श्रृंगार का वरण कर लें। इसके बाद सबसे पहले सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें।
कथा श्रवण जरूर करें
फिर बांस की टोकरी में पूजा की सभी सामग्रियों को रखकर नजदीक के वट वृक्ष के पास जाकर उनकी पूजा प्रारम्भ करें। इसके लिए सबसे पहले उन्हें जल का अर्घ्य दें। फिर सोलह श्रृंगार अर्पित करें। इसके बाद वट देव की पूजा फल, फूल, पूरी पकवान आदि से करें। अब रोली की मदद से अपनी क्षमता अनुसार वरगद वृक्ष की परिक्रमा 5, 7, 11 या 21 बार करें। इसके बाद कथा श्रवण करें। आप दिन भर उपवास भी रख सकती हैं। शाम में आरती अर्चना के बाद फलाहार करें। अगले दिन नित्य दिनों की तरह पूजा-पाठ के बाद व्रत खोल ब्राह्मणों को दान दें। फिर भोजन ग्रहण करें।
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