एस्ट्रो धर्म :
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, साल के नौवें महीने यानी रमजान महीने में रोजा रखा जाता है। इस पर्व में मुस्लिम समुदाय के लोग दो समय ( सहरी और इफ्तारी) खाते हैं और दिन भर उपवास रखते हैं और पांच पहर नमाज अदा करते हैं। रमजान महीने का समापन चांद को देखने के साथ होता है। इस दिन ईद उल फितर मनाया जाता है, जिसे मीठी ईद भी कहते हैं। इस साल 23 अथवा 24 मई को ईद उल फितर है। इस दिन लोग नमाज अदा कर रोजे का समापन करते हैं। इस दिन का विशेष महत्व है। आइए, जानते हैं कि ईद उल फितर के दिन नमाज अदा करना क्यों महत्वपूर्ण है-
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, साल के नौवें महीने यानी रमजान महीने में रोजा रखा जाता है। इस पर्व में मुस्लिम समुदाय के लोग दो समय ( सहरी और इफ्तारी) खाते हैं और दिन भर उपवास रखते हैं और पांच पहर नमाज अदा करते हैं। रमजान महीने का समापन चांद को देखने के साथ होता है। इस दिन ईद उल फितर मनाया जाता है, जिसे मीठी ईद भी कहते हैं। इस साल 23 अथवा 24 मई को ईद उल फितर है। इस दिन लोग नमाज अदा कर रोजे का समापन करते हैं। इस दिन का विशेष महत्व है। आइए, जानते हैं कि ईद उल फितर के दिन नमाज अदा करना क्यों महत्वपूर्ण है-
ईद नमाज
इसे अरबी में सलात कहा जाता है। कुरानशरीफ में सलात की सलाह कई बार दी गई है। इसे पांच पहर में अदा की जाती है। इन पांचों अजान के नाम निम्न हैं-
1.फज्र इसे सूर्योदय से पहले अदा किया जाता है।
2. दुहर इसे सुबह में अदा किया जाता है।
3. अस्र इसे दोपहर में अदा किया जाता है।
4. मगरिब इसे सूर्यास्त के बाद अदा किया जाता है।
5. ईशा इसे रात में 9 बजे से 10 बजे के बीच अदा किया जाता है।
ईद उल फितर के दिन नमाज अदा करना क्यों जरूरी है
इस्लाम धर्म में मान्यता है कि खुदा के साथ बंदे की तकरीब होनी चाहिए। इसके लिए नमाज अदा की जाती है। जब रमजान का समापन हो जाता है तो ईद उल फितर के दिन नमाज अदा कर खुदा से पूजा स्वीकार करने की प्रार्थना की जाती है। इसलिए ईद उल फितर के दिन नमाज अदा की जाती है। इस दिन हर कोई मीठी ईद मनाता है। इसके लिए ढाई किलो अनाज अथवा उस अनाज के समतुल्य अर्थ ( पैसे ) गरीबों में दान करने का विधान है, ताकि हर कोई इस पर्व को मना सके।
अंत में इमाम लोगों को उपदेश देते हैं
इस दिन लोग सुबह में स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहनते हैं और फिर 4-5 खजूर खाते हैं। इसके बाद नजदीक के मस्जिद में जाकर इमाम के समक्ष नमाज अदा करते हैं। इस समय मुस्लिम अनुयायी अल्लाहु अकबर ला इलाहा इला अल्लाह वा अल्लाहु का उद्धघोष करते हैं। अंत में इमाम लोगों को उपदेश देते हैं। इसके बाद लोग एक दूसरे को ईद उल फितर की बधाइयां देते हैं और गले मिलते हैं।
रमजान महत्व
ऐसा कहा जाता है कि रमजान महीने के 27 वें दिन शब-ए-क़द्र की रात को कुरान का अवतरण हुआ। इसलिए इस महीने में पांच पहर नमाज अदा करने का विशेष महत्व है। यह दिन इस्लाम धर्म में सबसे पवित्र दिन होता है, क्योंकि इस दिन लोग एक दूसरे को बधाइयां देकर गले लगाते हैं। खुशियां मनाते हैं। मिठाइयां बांटते हैं, घर में पूरी पकवान और सेवइयां बनाते हैं।
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