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जानकी नवमी २०२० (Janki Navami 2020) : आज जानकी नवमी है. इसे मां सीता के जन्मदिन के तौर पर मनाया जाता है. हर साल वैसाख माह की नवमी तिथि को जानकी नवमी मनाई जाती है. इस दिन लोग मां सीता की पूजा अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जानकी नवमी के दिन मां सीता और भगवान राम की विधिवत तरीके से पूजा अर्चना करने वाले भक्त को अद्भुत फल की प्राप्ति होती है और वो तरक्की करता है. रामायण में मां जानकी के उत्पत्ति की अद्भुत कहानी है. आइए पढ़ते हैं मां जानकी की जन्म कथा...
मां जानकी की कथा....
पौराणिक ग्रंथ रामायण के अनुसार, एक बार मिथिला राज्य में कई वर्षों से बारिश नहीं हो रही थी. इससे मिथिला नरेश जनक बहुत चिंतित हो उठे. इसके लिए उन्होंने ऋषि-मुनियों से विचार-विमर्श किया और मार्ग प्रशस्त करने का अनुरोध किया. उस समय ऋषि-मुनियों ने राजा जनक को खेत में हल चलाने की सलाह दी.
उन्होंने कहा कि अगर आप ऐसा करते हैं तो इंद्र देवता की कृपा जरूर बरसेगी. राजा जनक ने ऋषि मुनियों की बात मानते हुए, वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन खेत में हल चलाया. इसी दौरान उनके हल से कोई वस्तु टकराई, यह देख राजा जनक ने सेवकों ने से उस स्थान की खुदाई करवाया. उस समय खुदाई में उन्हें एक कलश प्राप्त हुआ, जिसमें एक कन्या थी. सेवकों ने इस बात की जानकारी राजा जनक को दी.
राजा जनक विस्मय से भर गए. जब इस बात पर उन्हें यकीन नहीं हुआ तो वह खुद इस बात के प्रमाण के लिए भूमि में पहुंचे. वहां कलश में कन्या को रोता देखकर उन्होंने उसे अपनी गोद में ले लिया. कन्या के स्पर्श मात्र से राजा जनक को वात्सल्य की अनुभूति हुई. तभी से राजा जनक ने कन्या को अपनी पुत्री मानकर उनका पालन-पोषण किया. प्राचीन समय में हल को 'सीत' कहा जाता था. इसलिए राजा जनक ने उस कन्या का नाम सीता रख दिया.
जानकी नवमी २०२० (Janki Navami 2020) : आज जानकी नवमी है. इसे मां सीता के जन्मदिन के तौर पर मनाया जाता है. हर साल वैसाख माह की नवमी तिथि को जानकी नवमी मनाई जाती है. इस दिन लोग मां सीता की पूजा अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जानकी नवमी के दिन मां सीता और भगवान राम की विधिवत तरीके से पूजा अर्चना करने वाले भक्त को अद्भुत फल की प्राप्ति होती है और वो तरक्की करता है. रामायण में मां जानकी के उत्पत्ति की अद्भुत कहानी है. आइए पढ़ते हैं मां जानकी की जन्म कथा...
मां जानकी की कथा....
पौराणिक ग्रंथ रामायण के अनुसार, एक बार मिथिला राज्य में कई वर्षों से बारिश नहीं हो रही थी. इससे मिथिला नरेश जनक बहुत चिंतित हो उठे. इसके लिए उन्होंने ऋषि-मुनियों से विचार-विमर्श किया और मार्ग प्रशस्त करने का अनुरोध किया. उस समय ऋषि-मुनियों ने राजा जनक को खेत में हल चलाने की सलाह दी.
उन्होंने कहा कि अगर आप ऐसा करते हैं तो इंद्र देवता की कृपा जरूर बरसेगी. राजा जनक ने ऋषि मुनियों की बात मानते हुए, वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन खेत में हल चलाया. इसी दौरान उनके हल से कोई वस्तु टकराई, यह देख राजा जनक ने सेवकों ने से उस स्थान की खुदाई करवाया. उस समय खुदाई में उन्हें एक कलश प्राप्त हुआ, जिसमें एक कन्या थी. सेवकों ने इस बात की जानकारी राजा जनक को दी.
राजा जनक विस्मय से भर गए. जब इस बात पर उन्हें यकीन नहीं हुआ तो वह खुद इस बात के प्रमाण के लिए भूमि में पहुंचे. वहां कलश में कन्या को रोता देखकर उन्होंने उसे अपनी गोद में ले लिया. कन्या के स्पर्श मात्र से राजा जनक को वात्सल्य की अनुभूति हुई. तभी से राजा जनक ने कन्या को अपनी पुत्री मानकर उनका पालन-पोषण किया. प्राचीन समय में हल को 'सीत' कहा जाता था. इसलिए राजा जनक ने उस कन्या का नाम सीता रख दिया.
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