एस्ट्रो धर्म :
बगलामुखी जयंती (Baglamukhi Jayanti 2020): आज बगलामुखी जयंती है. हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मां बगलामुखी जयंती मनाई जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां बगलामुखी की उत्पत्ति हुई थी. मां का एक अन्य नाम देवी पीताम्बरा भी है. मां को पीला रंग अति प्रिय है. मां बगलामुखी की पूजा में उन्हें पीले रंग के फूल, पीले रंग का चन्दन और पीले रंग के वस्त्र अर्पित करने चाहिए. माना जाता है कि मां बगलामुखी की पूजा करने से जातक की सभी बाधाओं और संकटों का नाश होता है और इसके साथ ही शत्रु पराजित होते हैं.
बगलामुखी मंत्र:
ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्वां कीलय कीलय बुद्धिं नाशय ह्लीं ॐ स्वाहा.
मां बगलामुखी की कथा:
पौराणिक कथा के अनुसार, सतयुग में महाविनाश उत्पन्न करने वाला ब्रह्मांडीय तूफान उत्पन्न हुआ, जिससे संपूर्ण विश्व नष्ट होने लगा इससे चारों ओर हाहाकार मच गया. कई लोग संकट में पड़ गए और संसार की रक्षा करना असंभव हो गया. यह तूफान सब कुछ नष्ट भ्रष्ट करता हुआ आगे बढ़ता जा रहा था, जिसे देख कर भगवान विष्णु जी चिंतित हो गए.
इस समस्या का कोई हल न पा कर वह भगवान शिव को स्मरण करने लगे तब भगवान शिव ने कहा शक्ति के अतिरिक्त अन्य कोई इस विनाश को रोक नहीं सकता अत: आप उनकी शरण में जाएं. तब भगवान विष्णु ने हरिद्रा सरोवर के निकट पहुंच कर कठोर तप किया. भगवान विष्णु के तप से देवी शक्ति प्रकट हुईं. उनकी साधना से महात्रिपुरसुंदरी प्रसन्न हुईं. सौराष्ट्र क्षेत्र की हरिद्रा झील में जलक्रीड़ा करती महापीतांबरा स्वरूप देवी के हृदय से दिव्य तेज उत्पन्न हुआ. इस तेज से ब्रह्मांडीय तूफान थम गया. उस समय रात्रि को देवी बगलामुखी के रूप में प्रकट हुई, त्रैलोक्य स्तम्भिनी महाविद्या भगवती बगलामुखी ने प्रसन्न हो कर विष्णु जी को इच्छित वर दिया और तब सृष्टि का विनाश रूक सका.
बगलामुखी जयंती (Baglamukhi Jayanti 2020): आज बगलामुखी जयंती है. हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मां बगलामुखी जयंती मनाई जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां बगलामुखी की उत्पत्ति हुई थी. मां का एक अन्य नाम देवी पीताम्बरा भी है. मां को पीला रंग अति प्रिय है. मां बगलामुखी की पूजा में उन्हें पीले रंग के फूल, पीले रंग का चन्दन और पीले रंग के वस्त्र अर्पित करने चाहिए. माना जाता है कि मां बगलामुखी की पूजा करने से जातक की सभी बाधाओं और संकटों का नाश होता है और इसके साथ ही शत्रु पराजित होते हैं.
बगलामुखी मंत्र:
ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्वां कीलय कीलय बुद्धिं नाशय ह्लीं ॐ स्वाहा.
मां बगलामुखी की कथा:
पौराणिक कथा के अनुसार, सतयुग में महाविनाश उत्पन्न करने वाला ब्रह्मांडीय तूफान उत्पन्न हुआ, जिससे संपूर्ण विश्व नष्ट होने लगा इससे चारों ओर हाहाकार मच गया. कई लोग संकट में पड़ गए और संसार की रक्षा करना असंभव हो गया. यह तूफान सब कुछ नष्ट भ्रष्ट करता हुआ आगे बढ़ता जा रहा था, जिसे देख कर भगवान विष्णु जी चिंतित हो गए.
इस समस्या का कोई हल न पा कर वह भगवान शिव को स्मरण करने लगे तब भगवान शिव ने कहा शक्ति के अतिरिक्त अन्य कोई इस विनाश को रोक नहीं सकता अत: आप उनकी शरण में जाएं. तब भगवान विष्णु ने हरिद्रा सरोवर के निकट पहुंच कर कठोर तप किया. भगवान विष्णु के तप से देवी शक्ति प्रकट हुईं. उनकी साधना से महात्रिपुरसुंदरी प्रसन्न हुईं. सौराष्ट्र क्षेत्र की हरिद्रा झील में जलक्रीड़ा करती महापीतांबरा स्वरूप देवी के हृदय से दिव्य तेज उत्पन्न हुआ. इस तेज से ब्रह्मांडीय तूफान थम गया. उस समय रात्रि को देवी बगलामुखी के रूप में प्रकट हुई, त्रैलोक्य स्तम्भिनी महाविद्या भगवती बगलामुखी ने प्रसन्न हो कर विष्णु जी को इच्छित वर दिया और तब सृष्टि का विनाश रूक सका.
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