भगवान संतुलन बनाते है, इसलिए हमें सृष्टि अच्छी लगती है। संतुलित और खुश रहना ही साधना के पथ पर चलने वालों के जीवन की कला होती है। उन्होंने कहा कि हर कोई सपाट जिंदगी चाहता है, मगर जीवन का पथ कभी ऐसा नहीं होता। जीवन में जब तक ऊंचा—नीचा या उतार—चढ़ाव है, तब तक ही जिंदगी है। यह उदबोधन विश्व जागृति मिशन के संस्थापक आचार्य सुधांशु ने रविवार को जवाहरनगर स्थित माहेश्वरी पब्लिक स्कूल सभागार में गुरुमंत्र सिद्धि कार्यक्रम में व्यक्त किए। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में मौजूद लोगों को मंत्र साधना के गुर सिखाए। उन्होंने कहा कि जीवन में सब कुछ मनचाहा नहीं मिलता, अनचाहा भी मिलता है। अनचाहे को मनचाहे में बदल लेना ही जीवन की कला है, जिसे साधना के पथ पर चलने वालों को अपनाना अनिवार्य है। कार्यक्रम में साधकों ने स्वरों में ओंकार का गहन अभ्यास किया। प्राणयाम के साथ ओंकार की ध्वनि, अनुलोम विलोम प्राणायाम के साथ—साथ श्वास—श्वास में गुरुमंत्र और 'ऊं नम' शिवाय' मंत्र के प्रयोग का भी सभी को अभ्यास कराते हुए कहा कि प्राणायाम के साथ जाप भी हो जाए तो इससे जीवन में कमाल होने लगेगा।
आचार्य ने शरीर में मौजूद तीन शक्ति् केन्द्रों की विस्तृत व्याख्या की। न्यायमूर्ति दीपक माहेश्वरी तथा विश्व जागृति मिशन जयपुर मंडल प्रधान मदनलाल अग्रवाल, उप प्रधान नारायण दास गंगवानी सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
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