ऐस्ट्रो धर्म :
आपने हमेशा लोगों को पूजा की थाली या धूप बत्ती लिए पेड़ या मंदिर के गोल-गोल चक्कर लगाते हुए देखा होगा. कोई एक चक्कर, कोई दो तो कोई सात चक्कर लगाता है. मंदिरों में ही नहीं बल्कि गुरुद्वारों में भी पाठ के बाद लोग चक्कर लगाते हैं. इतना ही नहीं, लोग सुबह-सुबह सूर्य पूजा के दौरान भी गोल-गोल घूमने लग जाते हैं. क्या कभी आपने सोचा है कि ऐसा वो क्यों करते है? क्यों लोग मंदिरों गुरुद्वारों के चक्कर लगाते हैं. श्रृद्धालुओं की मानें तो उनके अनुसार ऐसा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं. लेकिन आपको बता दें इसके पीछे कई और कारण भी है.
ऐसी मान्यता है कि मंदिर में दर्शन करने और पूजा करने के बाद परिक्रमा करने से सारी सकारात्मक ऊर्जा शरीर में प्रवेश करती है और मन को शांति मिलती है. साथ ही यह भी मान्यता है कि नंगे पांव परिक्रमा करने से अधिक सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है.
Aaj Ki Delhi.in/ The 24x7 news/ Indian news Online/ Prime News.live/Astro Dharm/ Yograaj Sharma/ 7011490810ऐसी मान्यता है कि मंदिर में दर्शन करने और पूजा करने के बाद परिक्रमा करने से सारी सकारात्मक ऊर्जा शरीर में प्रवेश करती है और मन को शांति मिलती है. साथ ही यह भी मान्यता है कि नंगे पांव परिक्रमा करने से अधिक सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है.
वहीं, धार्मिक मान्यता के अनुसार जब गणेश और कार्तिक के बीच संसार का चक्कर लगाने की प्रतिस्पर्धा चल रही थी तब गणेश जी ने अपनी चतुराई से पिता शिव और माता पार्वती के तीन चक्कर लगाए थे. इसी वजह से लोग भी पूजा के बाद संसार के निर्माता के चक्कर लगाते हैं. उनके अनुसार ऐसा करने से धन-समृद्धि होती हैं और जीवन में खुशियां बनी रहती हैं.
परिक्रमा करने की सही दिशा के विषय में माना गया है कि हमेशा परिक्रमा करते वक्त भगवान दाएं हाथ की तरफ होने चाहिए. यानी परिक्रमा घड़ी की सुई की दिशा में करनी चाहिए. यह भी माना जाता है कि परिक्रमा 8 से 9 बार करनी चाहिए.
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