ऐस्ट्रो धर्म

चैत्र नवरात्रि हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। जिसमें नौ दिनों तक मां दुर्गा की अराधना की जाती है। देवी मां को प्रसन्न करने के लिए लोग व्रत रखते हैं। माना जाता है कि शारदीय नवरात्रि के बाद ये साल की दूसरी बड़ी नवरात्रि होती है। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन से हिंदुओं का नया साल भी शुरू हो जाता है। इस बार चैत्र नवरात्र की शुरुआत 25 मार्च ( बुधवार ) से शुरू हो रहा है।

पौराणिक मान्यताओं अनुसार, सृष्टि के आरंभ का समय चैत्र नवरात्र का पहला दिन माना गया है। कहा जाता है कि इसी दिन देवी जी ने ब्रह्माजी को सृष्टि की रचना करने का कार्यभार सौंपा था। इसके अलावा इसी दिन से कालगणना शरू हुई थी। देवी भागवत पुराण के अनुसार, इसी दिन देवी मां ने सभी देवी देवताओं के कार्यों का बंटवारा किया था।

मान्यता है कि आदिशक्ति की कृपा से ही ब्रह्मा जी ने इस संसार की रचना की थी। मां ने ही भगवान विष्णु को पालनहार और शिवजी को संहारकर्ता बनाया और सृष्टि के निर्माण का कार्य संपूर्ण हुआ। इसलिए सृष्टि के आरंभ की तिथि से नौ दिनों तक मां अंबे के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इसके अलावे इसी दिन से ही पंचांग की गणना भी की जाती है।

देवी भागवत पुराण, के अनुसार सृष्टि के आरंभ से पूर्व अंधकार का साम्रज्य था। तब आदि शक्ति अपने कूष्मांडा अवतार में वनस्पतियों और दूसरी वस्तुओं को संरक्षित करते हुए सूर्यमंडल के मध्य में व्याप्त थी। मान्यता है कि जगत निर्माण के वक्त देवी मां ने ही ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव की रचना की थी। इसके बाद सत, रज और तम नामक गुणों से तीन देवियों ( लक्ष्मी, सरस्वती और काली ) की उत्पत्ति हुई।
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