जयपुर। स्वर्गीय श्री कुंज बिहारी जी नारनौली की स्मृति में व मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी व मानस गोस्वामी के सानिध्य में मंदिर श्री गोविन्द देव जी प्रांगण में चल रही श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चैथे दिन सोमवार को विश्व विख्यात वृन्दावन से पधारे आचार्य श्री पीयूष जी महाराज ने कहा कि आस्था ही पत्ािर से ईश्वर को प्रकट करती है। व्यक्ति के भीतर श्रद्धा, विश्वास और आस्था की त्रिवेणी से ही प्रभु के दर्शन संभव है। अगर हमारी भक्ति श्रद्धा व आस्थापूर्वक हो तो वह अवश्य ही सफल होगी। उन्होंने आगे कहा कि भगवान के भजन में ही सच्चा सुख है ना कि धन सम्पत्ति में है। कोई व्यक्ति कितना भी धनवान हो जाये ईश्वर की नजर में सब समान है। उन्होंने आगे कहा कि आज के प्रसंग में महाराज पृथु का अद्भुत चरित्र वर्णन करने पर आया जिसमें जिसमें पृथु के युग में भगवान के प्रकट होने पर उन्होंने दस हजार कान कथा सुनने के लिए भगवान से मांग की। नौ प्रकार की भक्ति में पहली भक्ति श्रवण की जाती है तथा सुनने के लिए दस हजार कान का वरदान मांगना यह भी भक्ति के इतिहास में एक अद्भुत घटना है। कथा प्रसंग के बीच महाराज श्री ने भजनों के द्वारा खूब भक्ति बरसाया। महाराज श्री ने आज मन्वन्तर आख्यान, समुद्र मंथन, बलि वामन चरित्र, विवस्वान, वंश कथा, इलाव्रत खण्डकथा आदि प्रसंगों पर वर्णन किया।
कार्यक्रम के आयोजक रमेश नारनौली ने बताया कि मंगलवार को रामचरित्र व श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के बाद नन्दोत्सव मनाया जायेगा। 6 अगस्त को श्रीकृष्ण बाल लीला, श्री गिरिराज पूजन, छप्पन भोग, 7 अगस्त को महाराज प्रसंग, मथुरा गमन, रूकमणी विवाह के बाद 8 अगस्त को सुदामा चरित्र, दत्तात्रेयोपाख्यान, शुकदेव की कथा के बाद व्यास पूजन होगा।
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