सनातन धर्म और सनातन संस्कृति में सूर्य पूजा का पूराना इतिहास है। तभी तो सनातन धर्म के आदि पंच देवों में एक सूर्यदेव भी है। जिन्हें कलयुग का एकमात्र दृश्य देव माना जाता है। सूर्य को देव या यूं कहें सूर्य नारायण मानते हुए देश में कुछ जगहों पर सूर्य मंदिरों का भी समय समय पर निर्माण होता रहा है। जो आज भी कई रहस्य लिए हुए हैं।
जानकारों के अनुसार भारत में मौजूद प्राचीन मंदिर आज भी इतिहास के साक्षी बने ज्यों के त्यों खड़े हैं। हालांकि कुछ प्राचीन मंदिर अब अपने असली आकार में नहीं हैं यानि खंडित हो चुके हैं लेकिन फिर भी यह मंदिर इतिहास की कई घटनाओं व कहानियों को समेटे हुए हैं।
एक ऐसा ही प्राचीन मंदिर है ‘कटारमल सूर्य मन्दिर’। इस मंदिर को उड़ीसा में स्थित सूर्य देव के प्रसिद्ध कोणार्क मंदिर के बाद दूसरा सूर्य मंदिर माना जाता है। आज हम आपको इस मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातों की जानकारी दे रहे हैं।
देवभूमि में स्थित कटारमल सूर्य मन्दिर
देवभूमि उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा में कटारमल नामक स्थान पर भगवान सूर्य देव से संबंधित प्राचीन मंदिर ‘कटारमल सूर्य मन्दिर’ स्थित है। यह मंदिर उत्तराखण्ड में अल्मोड़ा जिले के अधेली सुनार नामक गांव में है। मंदिर के निर्माण के समय को लेकर विद्वान एकमत नहीं हैं।
देवभूमि उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा में कटारमल नामक स्थान पर भगवान सूर्य देव से संबंधित प्राचीन मंदिर ‘कटारमल सूर्य मन्दिर’ स्थित है। यह मंदिर उत्तराखण्ड में अल्मोड़ा जिले के अधेली सुनार नामक गांव में है। मंदिर के निर्माण के समय को लेकर विद्वान एकमत नहीं हैं।
कुछ जानकारों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण नौवीं या ग्यारहवीं शताब्दी में कटारमल नामक एक शासक द्वारा करवाया गया माना जाता है। वहीं कुछ विद्वान इस मंदिर का निर्माण छठीं से नवीं शताब्दी में हुआ मानते हैं।
यह भी कहा जाता है कि प्राचीन काल में कुमाऊं में कत्यूरी राजवंश का शासन था। इसी वंश के शासकों ने इस मंदिर के निर्माण में अपना योगदान दिया था। लेकिन पुरातत्व विभाग द्वारा मंदिर की वास्तुकला व स्तंभों पर उत्कीर्ण अभिलेखों को लेकर किए गए अध्ययनों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण समय तेरहवीं सदी माना गया है।
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