आचार्य अभिमन्यू पाराशर
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शादी ब्याह कर घर बसाने वालों के लिए नया साल खुश खबर लेकर आ रहा है। इस साल की तुलना मे वर्ष 2017 मे विवाह मुहुर्तो की भरमार रहेगी। 2017 मे पूरे साल विवाह के 78 शुभ मुहुर्त हैं। वर्ष 2016 की अपेक्षा 40 मुहुर्त अधिक हैं। मौजूदा साल मे विवाह के करीब 48 शुभ मुहुर्त थे। अगले साल जनवरी से जुलाई तक हर माह विवाह मुहुर्त हैं। देव उठनी एकादशी के साथ ही विवाह मुहुर्त शुरू हो जायेंगे। मार्च माह मे 4 मार्च को ही शुभ मुहुर्त हैं हालांकि 15 मार्च के पहले विवाह के 4 मुहुर्त हैं लेकिन होलाष्टक के कारण कई लोग इन मुहुर्तों मे शदीयाँ नही करते हैं। आचार्य अभिमन्यू पाराशर के अनुसार देव उठनी एकादशी 11 नवम्बर को मनाई जायेगी लकिन सूर्य के तुला राशि मे होने के कारण शुभ मुहुर्त 16 नवम्बर से ही प्ररम्भ होगें।

कब कब लगेगा विराम
पाराशर के अनुसार 15 दिसम्बर से 14 जनवरी तक धनु राशि के सूर्य अर्थात खरमास मे होने से विवाह आदी शुभ कार्यो पर विराम लगा रहेगा। 14 मार्च से 17 अप्रेल तक भी मीन राशि के सूर्य अर्थात खरमास मे होने से विवाह आदि कार्य नही होगें।

मई जून मे जमकर होगीं शादीयां
वर्ष 2016 मे मई और जून मे शुक्र अस्त होने से विवाह मुहुर्त नही थे। लेकिन 2017 मे दोनो महिनो मे जमकर शादीयाँ होंगी। मई मे 16 दिन व जून मे 17 दिन विवाह के शुभ मुहुर्त रहेंगे।

देवोत्थापनी अर्थात देवउठनी एकादशी
यद्यपि भगवान क्षणभर भी सोते नही हैं फिर भी भक्तों की भावना - यथा देहे तथा देवे के अनुसार भगवान चार मास शयन करते हैं। भगवान विष्णु के क्षीर शयन के विषय मे यह कथा प्रसिद्ध है कि भगवान ने भाद्रपद मास की शुक्ल एकादशी को महापराक्रमी शंखासुर नामक राक्षस को मारा था। और उसके बाद थकावट दूर करने के लिए क्षीर सागर मे जाकर सो गये। वे वहाँ चार मास तक सोते रहे और कार्तिक शुक्ल एकादशी को जगे। इसी से इस एकादशी का नाम देवोत्थापनी या देवप्रबोधनी व देव उठनी एकादशी पड गया। इस दिन उपवास करने का विशेष महत्व है।

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