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बीकानेर। पुष्करणा सावे को लेकर शहर में रौनक परवान चढने लग गई है। गल्ली-मोहल्ले  मांगलिक गीतों से  गुंजायमान है। प्रवासियों के आने का सिलसिला शुक्रवार को भी जारी रहा। बड़ी संख्या में प्रवासी कोलकता, चौन्नई,  मुम्बई से बीकानेर पहुंच रहे हैं। शहर में कई मोहल्लों में यज्ञोपवित संस्कार आयोजित किया गया। वहीं मायरे की रस्म   निभाई गई। पुष्करणा समाज का सामूहिक सावा आठ फरवरी को होगा। इसकी तैयारियों में पूरा शहर जुट सा गया है।  सेवा संस्थाएं पूरी तरह से मुस्तैद हो गई है। कंट्रोल रेट पर खाद्य सामग्री का वितरण किया जा रहा है।  शुक्रवार को कई  स्थानों पर यज्ञोपवित संस्कार कार्यक्रम आयोजित हुए। ।  बटुकों के यज्ञोपवित संस्कार के दौरान  घर-घर में  धर्म की  मान्यता के अनुसार यज्ञोपवित धार्मिक अनुष्ठान, पूजन ,हवन हुए।  परम्परा के अनुसार काशी के लिए दौड़ भी लगाई।   हाथ में घोटा, पाटी, लोटडी लेकर भागते हुए बटुकों को पकडने के लिए उनके परिवारजनों ने भी दौड़ लगाई।  
बीरा रमक-झमक होय आयज्यों..........
यज्ञोपवित संस्कार  के दौरान शुक्रवार को शहर में मायरा भरने के भी आयोजन हुए। जिन बटुकों के यज्ञोपवित संस्कार  हुआ उनके ननिहाल से मायरा भरा गया। हर गली-मोहल्ले में मायरा के पारम्परिक गीत श्बीरा रमक-झमक होय  आयज्यों ्य की गूंज रही। ढोल-बाजा के साथ बटुकों के ननिहाल पक्ष के लोग मायरा भरने पहुंचे। वही शहर में शुक्रवार  को बडी संख्या में हुई शादियों के दौरान भी मायरा भरने की रस्म का निर्वहन हुआ। ं दिन में जहा मायरा व खिरोडा की  रस्में हुई,वही देर शाम से बारातों के निकलने का क्रम शुरू हुआ जो देर रात्रि तक चलता रहा।
शान बढाना सभी का दायित्व
पुष्करणा सावे को कैसे बनाएं और खूबसूरत विषय पर शुक्रवार को रमक-झमक संस्था के बैनर तले गोष्ठी का आयोजन  किया गया। इस अवसर पर डॉ.अजय जोशी ने कहा कि सावे की शान व मान को बढाने का दायित्व हम सभी का है।  सावे के दौरान ऐसा कोई भी कार्य न हो जो इसकी पौराणिक संस्कृति के विरूद्ध हो। संस्था के अध्यक्ष प्रहलाद ओझा भैंरू  के साथ ही रतन लाल, चन्द्र शेखर छंगाणी, राजेश रंगा, महादेव बिस्सा, कैलाश ओझा, किशन कोलाणी, निखिल देराश्री,  राजा  ओझा, आर. के. सूरदासाणी, आनन्द मस्ताना, राज कुमार व्यास आदि ने विचार रखे।
दावों की खुल रही है पोल
पुष्करणा सावे से पूर्व परकोटे के अन्दरूनी क्षेत्रों में सफाई, प्रकाश , पेच वर्क व आवारा पशुओं को हटाने के लिए निगम  प्रशासन की ओर से किए लम्बे चौड़े दावे किए थे।  मगर अब जबकि सावे में मात्र एक सप्ताह का ही समय शेष रह गया  है फिर भी सावा वाले क्षेत्रों में न तो उचित प्रकाश व्यवस्था नजर आ रही है न ही सफाई की व्यवस्था। सडको पर पडे गढ्ढें  ,हर चौक -चौराहो पर लड रहे आवारा पशु निगम प्रशासन की पोल खोल रहे है। सावा क्षेत्रों में मुख्य सडकों के साथ  -साथ गली-मोहल्लों में भी अंधेरा पसरा पडा है। अनेक स्थानों पर सडकों पर  फैल रहा कीचड, कचरे के ढेर सफाई  व्यवस्था की पोल खोल रहे है। निगम प्रशासन की इस अनदेखी से लोगो में रोष फैल रहा है। लोगों में इस बात को लेकर  नाराजगी है कि निगम व जिला प्रशासन ने सावे के अवसर पर लम्बे चौडे दावे किये थे जो अब खोखले साबित होते नजर  आ रहे है।
...अब खुली आंख
पुष्करणा सावा अब महज 10 दिन दूर है। इसके बाद भीतरी परकोटे में कई मोहल्लों में अभी भी विकास कार्यों की दरकार  है। तो कुछ मोहल्लों में अभी भी नालियों के दुरुस्त करने का कार्य चल रहा है। सड़कों की मरम्मत अभी भी कई मोहल्लों  में बाकी पड़ा है। साफ-सफाई का भी अभाव है। जगह जगह बिजली केबलें सड़क के बाहर पड़ी है। इसके कारण सड़क भी  क्षतिग्रस्त पड़ी है।
विवाह समारोह की रही धूम
हालांकि सामूहिक सावा आठ फरवरी को प्रस्तावित है लेकिन श्ुाक्रवार रात को भी विवाह समारोह की धूम रही। शाम
ढलने के साथ ही शहर में डीजे
और बैंड बाजों के साथ बाराते निकली।
शहर में विवाह समारोह को लेकर
खासी रौनक रही। बारातों का सिलसिला
देर रात तक चला। विवाह स्थलों पर
लोगों का जमावड़ा रहा। हर ओर मांगलिक गीतों की गूंज रही।
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