डॉ. अतुल कुमार

छुट्टी बिताने और मौज मस्ती करने का मौका होना चाहिए। हिन्दुस्तानी आदतन ही फौरन तैयार होतें हैं। त्यौहार मनाने का कोई कारण होना चाहिए सारें लोगों ने फौरन इकट्ठा होकर खुशियां मनाने में शामिल होने में देर नहीं लगानी। पंरपराओं और त्योहारों कोमनाने में हमारा कोई सानी नहीं। यह शायद इसे महसूस कर सकते हैं। चाहे हमारी गुलामी और शहीदों के हत्यारे दुश्मन देश की ही खुशी का त्यौहार क्यों ना हो।
ब्रितानी साल के मनाने को लेकर प्रख्यात गाँधीवादी और पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री मोरारजी देसाई को पहली जनवरी पर नववर्ष की बधाई दी तो उन्होंने उत्तर दिया था- किस बात की बधाई? मेरे देश और देश के सम्मान और इतिहास का तो इस दिन तिथि से कोई संबंध नहीं। यही हम लोगों को भी समझना और हर हिन्दुस्तानी को समझाना होगा क्या एक जनवरी के साथ आरम्भ होने वाले साल में कोई ऐसा एक भी प्रसंग जुड़ा है जिससे राष्ट्र प्रेम जाग सके, स्वाभिमान जाग सके या श्रेष्ठ होने का भाव जगे।
उनकी इस बात में बहुत गहरा मर्म था। खून में गुलामी के कीटाणुओं को डाल चुकी गोरोें ने की सत्ता अपनी पकड़ बनाये रखने के लिए हमारी पहचान और संस्कृति और धर्म को क्रूर सोच के साथ शनैः शनैः मिटा देने की योजनाबद्ध तैयारी में ही ऐसे त्योहार पर छुट्टी का आरंभ किया जाना था। हमे अपनी जिम्मेदारी और हमारे कर्म व धर्म को स्वयं तय करना है। रविवार की सरकारी छुट्टी भी चर्च के लिए ही थी। अब तो यह वक्त है कि हम अपनी जड़ों से जुड़ने के लिए साप्ताहिक अवकाश भी पर्व और तिथियों पर धोषित करें और हमें उस सप्ताह के रविवार की छुट्टी को खत्म कर देना चाहिए। भारतीय नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को हमारे जनपद में नववर्ष के नाते हजारों  सालों से मनाया रहा है। हम परस्पर उसी दिन एक दूसरे को शुभकामनाये दें।
भारतीय नववर्ष का अपना ही ऐतिहासिक महत्व है। यही दिन सृष्टि रचना का प्रथम दिन है। एक अरब 97 करोड़ 39 लाख 49 हजार 111 वर्ष पूर्व ब्रह्मावर्त में इसी दिन के सूर्याेदय से भगवान ब्रह्माजी ने जगत की रचना प्रारंभ की। कोई नहीं मान भी सकता है पर यह आस्था एक गहरे शोध का बिंदु अवश्य है कि पंच महाभूतों के अनुपातिक समन्वय से निर्मित इस शरीर में जीवन शक्ति के निरूपित होने के लिए और उस आत्म बल के निस्तारण में क्यों नक्षत्रों की स्थिति प्रभावी होती है।
शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात् नवरात्र स्थापना का पहला दिन यही है। प्रभु राम के जन्मदिन रामनवमी से पूर्व नौ दिन उत्सव मनाने का प्रथम दिन। युगाब्द संवत्सर का प्रथम दिन यानि कि लगभग बावन सौ वर्ष पूर्व युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ। संवत का पहला दिन उसी राजा के नाम पर होता था जिसके राज्य में न कोई चोर हो, न अपराधी हो, और न ही कोई भिखारी हो। साथ ही राजा चक्रवर्ती सम्राट भी हो। सम्राट विक्रमादित्य ने 2071 वर्ष पहले इसी दिन राज्य स्थापित किया था। और तभी से उज्जैन के पराक्रमी सम्राट के नाम विक्रमी संवत् से नया पंचाग आरम्भ हुआ। शालिवाहन संवत्सर का प्रारंभ दिवस भी इसी दिवस से माना गया। विक्रमादित्य की भांति शालिनवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना।
भारतीय नववर्ष का प्राकृतिक महत्व ही है कि नये कार्य को प्रारंभ करने के लिये इसे शुभ मुहूर्त मानते हैं। वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है। आइये! विदेशी को फैंक स्वदेशी अपनाऐं और गर्व के साथ भारतीय नव वर्ष यानि विक्रमी संवत् को ही मनायें तथा इसका अधिक से अधिक प्रचार करें।
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