भग्वान उसी परिवार मे निवास करते है ए जहा परिजनो मे शान्ति और प्रेम की भाव्ना होती है । मनुष्य को जीवन भर परोप्कार मे लगे रह्ना चाहिये । कथा व्यास जी पंडित मोहित भारद्वाज जी ने यह उद्गार व्यक्त किये । मनुष्य के जीवन का लक्ष्य उद्देश्य कर्म धर्म समय एवम स्थान निश्चित होना अनिवार्य है अन्यथा प्रग्ति वृद्दी सम्भव नही है । अतरू सफ्ल्ता के लिये यह सब निर्धारित होना आवश्यक है । ग्राम मावंडा नीम का थाना मे शर्मा भवन मे श्रीमद भाग्वत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिवस पर परम पुज्नीय पित्राचार्य महाराज जी के सानिद्द्य मे चल रही कथा मे व्यास जी श्रीमद भाग्वत को मोक्षदाय्नी बताया । भाग्वत श्रव्ण मात्र से जन सामान्य के कष्टो का निवारण सम्भव होता है । यह कल्प्वृक्ष स्वरूप एंद्रिय ज्ञान प्रदाय्नी होती है । व्यास जी ने नारद ए नारायण ए परिक्षित ए सचीदानंद आदि शब्दो का अर्थ सम्झाया एवं कुंति चरित्र ए वेद्व्यास चरित्र ए शुक्देव चरित्र ए राजा परिक्षित चरित्र आदि का व्याख्यान किया । कथा आयोजक श्री बजरंगलाल शर्मा जी ने बताया कि तृत्य दिवस पर कपिलोख्यान ए जड भरत चरित्र ए ध्रुव चरित्र ए प्रह्लाद चरित्र ए बलि वामन चरित्र आदि का श्रवण पान होगा ।
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