सनातन संस्कृति की पहचान ही सिन्धु संस्कृति है और प्राचीन संस्कृति को संजोये हम सिन्ध मिलकर अखण्ड भारत बनेगा और हम सन्तों महात्माओं की पवित्र धरती का दर्शन करेगें ऐसे आर्शीवचन सिन्धी शिक्षा समिति की ओर से भारतीय सिन्धु सभा के सहयोग से सिन्ध स्मृति दिवस के उपलक्ष में हरिसुन्दर बालिका विद्यालय में आयोजित संगोष्ठी के अवसर पर आर्शीवचन देते हुये ईश्वर मनोहर उदासीन आश्रम के महन्त स्वामी स्वरूपदास ने प्रकट किये। समिति के प्रचार मंत्री महेश टेकचंदाणी ने बताया कि संगोष्ठी को स्वामी समूह के सीएमडी कंवलप्रकाश किशनाणी ने सम्बोधित करते हुये कहा कि हमें आजादी मिली परन्तु हमारी पवित्र धरा को खोने का भी दर्द है और युवा पीढी को सिन्ध के गौरवमयी इतिहास की जानकारी ऐसे कार्यक्रमों से ही मिलती है कि राष्ट्र रक्षा में बलिदान हुये सिन्धुपति महाराजा द्ाहरसेन व उसके परिवार सहित अनिगनत वीरों ने देश की स्वाधीनता के लिये जो बलिदान किया है यही हमारी प्रेरणा है। भारतीय सिन्धु सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नवलराय बच्चाणी ने कहा कि वेदों की रचना सिन्धु नदी के किनारे हुई थी और बहुत विद्वानों ने देश और दुनिया में सिन्ध के गौरवमयी इतिहास को समझा व शोध पीठ की स्थापना करवाई। आज भी दुनिया सिन्धु घाटी सभ्यता संस्कृति का अध्ययन करती है और प्राचीनतम सभ्यता को आत्मसात करती है।सिन्धी शिक्षा समिति अध्यक्ष भगवान कलवाणी ने विद्यार्थियों के लिये सिन्धी विषय की पुस्तकों को पाठयपुस्तक मण्डल व माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से प्रकाशन हेतु विचार प्रकट करते हुये राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराने की चर्चा की। इस अवसर पर समिति सिन्धी भाषा व संस्कृति को बढावा देने में सहयोगी शिक्षक महेश्वरी गोस्वामी , पुष्पा साधवाणी, लक्षमी मनवाणी व पुष्पा मोदियाणी को शाॅल, श्रीफल, प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। संगोष्ठी का शुभारम्भ मां सरस्वती, भारत माता व ईष्टदेव झूलेलाल के चित्र पर दीप प्रज्जवलन व माल्यार्पण से किया गया। हरिसुन्दर बालिका की श्रीमति लता ठारवाणी, नेहा करनाणी, रोशनी नवलाणी,रवीना जेठवाणी, नीलम ने देश भक्ति गीत प्रस्तुत किये। कार्यक्रम का संचालन सभा के प्रदेश महामंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने किया। स्वागत भाषण प्राचार्य लाजवंती आहूजा व आभार वासुदेव कृपलाणी ने दिया। कार्यक्रम में सर्वश्री खेमचन्द नारवाणी पार्षद, नरेन्द्र बसराणी, तुलसी सोनी, राम निहालाणी, जयकिशन लख्याणी सहित कई कार्यकर्ता उपस्थित थे।
सनातन संस्कृति की पहचान ही सिन्धु संस्कृति है और प्राचीन संस्कृति को संजोये हम सिन्ध मिलकर अखण्ड भारत बनेगा और हम सन्तों महात्माओं की पवित्र धरती का दर्शन करेगें ऐसे आर्शीवचन सिन्धी शिक्षा समिति की ओर से भारतीय सिन्धु सभा के सहयोग से सिन्ध स्मृति दिवस के उपलक्ष में हरिसुन्दर बालिका विद्यालय में आयोजित संगोष्ठी के अवसर पर आर्शीवचन देते हुये ईश्वर मनोहर उदासीन आश्रम के महन्त स्वामी स्वरूपदास ने प्रकट किये। समिति के प्रचार मंत्री महेश टेकचंदाणी ने बताया कि संगोष्ठी को स्वामी समूह के सीएमडी कंवलप्रकाश किशनाणी ने सम्बोधित करते हुये कहा कि हमें आजादी मिली परन्तु हमारी पवित्र धरा को खोने का भी दर्द है और युवा पीढी को सिन्ध के गौरवमयी इतिहास की जानकारी ऐसे कार्यक्रमों से ही मिलती है कि राष्ट्र रक्षा में बलिदान हुये सिन्धुपति महाराजा द्ाहरसेन व उसके परिवार सहित अनिगनत वीरों ने देश की स्वाधीनता के लिये जो बलिदान किया है यही हमारी प्रेरणा है। भारतीय सिन्धु सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नवलराय बच्चाणी ने कहा कि वेदों की रचना सिन्धु नदी के किनारे हुई थी और बहुत विद्वानों ने देश और दुनिया में सिन्ध के गौरवमयी इतिहास को समझा व शोध पीठ की स्थापना करवाई। आज भी दुनिया सिन्धु घाटी सभ्यता संस्कृति का अध्ययन करती है और प्राचीनतम सभ्यता को आत्मसात करती है।सिन्धी शिक्षा समिति अध्यक्ष भगवान कलवाणी ने विद्यार्थियों के लिये सिन्धी विषय की पुस्तकों को पाठयपुस्तक मण्डल व माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से प्रकाशन हेतु विचार प्रकट करते हुये राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराने की चर्चा की। इस अवसर पर समिति सिन्धी भाषा व संस्कृति को बढावा देने में सहयोगी शिक्षक महेश्वरी गोस्वामी , पुष्पा साधवाणी, लक्षमी मनवाणी व पुष्पा मोदियाणी को शाॅल, श्रीफल, प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। संगोष्ठी का शुभारम्भ मां सरस्वती, भारत माता व ईष्टदेव झूलेलाल के चित्र पर दीप प्रज्जवलन व माल्यार्पण से किया गया। हरिसुन्दर बालिका की श्रीमति लता ठारवाणी, नेहा करनाणी, रोशनी नवलाणी,रवीना जेठवाणी, नीलम ने देश भक्ति गीत प्रस्तुत किये। कार्यक्रम का संचालन सभा के प्रदेश महामंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने किया। स्वागत भाषण प्राचार्य लाजवंती आहूजा व आभार वासुदेव कृपलाणी ने दिया। कार्यक्रम में सर्वश्री खेमचन्द नारवाणी पार्षद, नरेन्द्र बसराणी, तुलसी सोनी, राम निहालाणी, जयकिशन लख्याणी सहित कई कार्यकर्ता उपस्थित थे।
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