सजी छप्पन भोग की झांकी
जयपुर। स्वर्गीय श्री कुंज बिहारी जी नारनौली की स्मृति में व मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी व मानस गोस्वामी के सानिध्य में मंदिर श्री गोविन्द देव जी प्रांगण में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के छठवें दिन बुधवार को वृन्दावन से पधारे आचार्य श्री पीयूष जी महाराज ने कहा कि कर्म ही देवता है कर्म से ही जन्म होता है और कर्म से ही मृत्यु होती है। इसलिए हर व्यक्ति को अपने जीवन में सदैव अच्छे कर्म करने चाहिए। आचार्य श्री गिरिराज पूजन के प्रसंग पर बोलते हुए कहा कि बृजवासियों में कर्म का शंख फूंकते हुए भगवान श्रीकृष्ण ने पुनः एक नए देवता का परिचय करवाया। भगवान ने इन्द्र की पूजा की जगह बृजवासियों से सात कोस के बांध का निर्माण करवाया। जिसमें पानी को सुरक्षित रखा जा सके। यही गिरिराज भगवान का स्वरूप कहलाया है। उन्होंने आगे कहा कि श्रीकृष्ण ही गिरिराज है और गिरिराज ही श्रीकृष्ण है। आचार्य श्री ने कथा प्रसंग के बीच में चल वृन्दावन, जहां विराजे राधे रानी....., श्री गोवर्धन महाराज, थारे सिर पर मुकुट विराज रह्यो...., आदि भजनों के द्वारा कथा स्थल पर बैठे श्रद्धालुओं को भक्ति और आस्था के रंग में भिगो दिया। इस अवसर पर सजाई गई छप्पन भोग की झांकी श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केन्द्र रही। इस अवसर पर कथा आयोजक रमेश नारनौली व उनके परिजनों ने प्रारंभ में पूजा अर्चना की व आचार्य का स्वागत किया। महाराज श्री ने आज के प्रसंग में श्रीकृष्ण बाल लीला के द्वारा खूब भक्ति रस बरसाया।
कार्यक्रम के आयोजक रमेश नारनौली ने बताया कि गुरूवार को महाराज प्रसंग, मथुरा गमन, रूकमणी विवाह के बाद 8 अगस्त को सुदामा चरित्र, दत्तात्रेयोपाख्यान, शुकदेव की कथा के बाद व्यास पूजन होगा।
कथा रोजाना दोपहर 1 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक होगी।
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