बीकानेर। श्री गुरूजम्भेश्वर मन्दिर सेवा समिति एवं जीव रक्षा संस्था बीकानेर के संयुक्त तत्वाधान में हो रही जम्भवाणी हरिकथा ज्ञानयज्ञ का समापन दिनांक रविवार को हुआ। कथावाचक स्वामी स"िादानंद जी शास्त्री थे। हरियाली अमावस्या की सभी को विशाल भव्य जागरण का अयोजन रखा गया था जिसमें सैकड़ों स्त्री-पुरूष शामिल हुए। जागरण में स्वामी स"िादानंद रामस्वरूप, सहीराम, हड़मान आदी जाने-माने कलाकार थे। सुबह ८ बजे विशाल भव्य यज्ञ शुरू हुआ जो ११बजे १२० शब्दों व वैदिक ग्रंथो से किया गया जिसमें घी व हवन सामग्री की सुगन्ध से वातावरण महक रहा था व यज्ञ की लपटें ऊंची जा रही थी। कथा समापन के समय सालासर साथरी के महन्त स्वामी राजेन्द्रानन्द जी मौरड़ थे। स्वामी राजेन्द्रानन्द ने बताया कि आज युवा पीढ़ी पाश्चात्य संस्कृति की चपेट में आ रही है । युवा नशा आदी करते है इस कारण लड़ाई-झगड़ा आदि बढ़ रहा है। भंवर भाम्भू प्रधान नोखा ने २० क्विं पक्षियों के लिए चुगा दिया। शक्तिप्रकाश सींगड़ अध्यापक ने बताया कि हमें हमारी संस्कृति को बचाने के लिए २९ नियमों का पालन करना चाहिए। हरिकथा में ओमप्रकाश भादू, मोखराम धारणिया, राजाराम धायल, मोहनलाल से नि. विकास अधिकारी आदि के भी धर्म पर चलने का सुझाव दिया। अन्त में स्वामी स"िादानंदजी ने आये हुए सभी हजारों भक्तों को आशीर्वाद दिया।
बीकानेर। श्री गुरूजम्भेश्वर मन्दिर सेवा समिति एवं जीव रक्षा संस्था बीकानेर के संयुक्त तत्वाधान में हो रही जम्भवाणी हरिकथा ज्ञानयज्ञ का समापन दिनांक रविवार को हुआ। कथावाचक स्वामी स"िादानंद जी शास्त्री थे। हरियाली अमावस्या की सभी को विशाल भव्य जागरण का अयोजन रखा गया था जिसमें सैकड़ों स्त्री-पुरूष शामिल हुए। जागरण में स्वामी स"िादानंद रामस्वरूप, सहीराम, हड़मान आदी जाने-माने कलाकार थे। सुबह ८ बजे विशाल भव्य यज्ञ शुरू हुआ जो ११बजे १२० शब्दों व वैदिक ग्रंथो से किया गया जिसमें घी व हवन सामग्री की सुगन्ध से वातावरण महक रहा था व यज्ञ की लपटें ऊंची जा रही थी। कथा समापन के समय सालासर साथरी के महन्त स्वामी राजेन्द्रानन्द जी मौरड़ थे। स्वामी राजेन्द्रानन्द ने बताया कि आज युवा पीढ़ी पाश्चात्य संस्कृति की चपेट में आ रही है । युवा नशा आदी करते है इस कारण लड़ाई-झगड़ा आदि बढ़ रहा है। भंवर भाम्भू प्रधान नोखा ने २० क्विं पक्षियों के लिए चुगा दिया। शक्तिप्रकाश सींगड़ अध्यापक ने बताया कि हमें हमारी संस्कृति को बचाने के लिए २९ नियमों का पालन करना चाहिए। हरिकथा में ओमप्रकाश भादू, मोखराम धारणिया, राजाराम धायल, मोहनलाल से नि. विकास अधिकारी आदि के भी धर्म पर चलने का सुझाव दिया। अन्त में स्वामी स"िादानंदजी ने आये हुए सभी हजारों भक्तों को आशीर्वाद दिया।
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