अजमेर । सुप्रसिद्ध भजन गायक विनोद अग्रवाल
अपने चिरपरिचित अंदाज में विनोद अग्रवाल ने' आओ श्यामजी कन्हैेयालाल जी, मेरे प्राणों के गोपालजी'  भजन से संध्या की शुरुआत की।  आधे घंटे तक गाए इस भजन में अग्रवाल ने भगवान कृष्ण और राधा के जीवन प्रसंगों के कई उदाहरण प्रस्तुत कर उनका आध्यात्मिक महत्व बताया।  इसके बाद थोड़ी सी झलक दिखा दो मुझे, क्यों परदे के पीछे छिपे रहते हो और सुनते हैं तेरे दीवानों से तेरी प्रीत की रीत निराली है।  भजनों  के माध्यम से लोगों को थिरकने पर मजबूर कर दिया। अग्रवाल ने अपना प्रसिद्ध भजन गोपाल मुरलिया वाले, नंदलाल मुरलिया वाले गाना शुरू किया तो पूरा पंडाल ही थिरकने लग गया।
ने तीर्थ नगरी पुष्कर में अराध्य देव भगवान कृष्ण की भक्ति की ऐसी सरिता बहाई कि लोग देर रात तक उसमें गोता लगाते रहे।  अग्रवाल के पहले ही भजन से लोगों ने थिरकना शुरू कर दिया। यह सिलसिला उनके आखिरी भजन तक चलता रहा। हर उम्र दराज के लोगों ने भक्ति भाव में अपने आपको पूरी तरह खो दिया। विरह के कुछ भजनों पर तो लोगों की आंखे भी नम हो गई।
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