यह भी वैशाख शुक्ल सप्तमी को ही होता है। इसके लिए उक्त सप्तमी को सफेद तिलों के जल से स्नान करके सफेद वस्त्र धारण करें। एक वेदी पर कुंकुम से अष्टदल लिखकर 'ॐ नमः सवित्रे' इस मंत्र से उसका पूजन करें।
फिर उस पर खांड से भरा हुआ और सफेद वस्त्र से ढंका हुआ सुवर्णयुक्त कोरा कलश स्थापित करके
ऐविश्वदेवमयो यस्माद्वेदवादीति पठयसे। त्वमेवामृतसर्वस्वमतः पाहि सनातन।'
इस मंत्र से यथाविधि पूजन करें और दूसरे दिन ब्राह्मणों को घृत और शर्करामिति खीर का भोजन कराकर वह घड़ा दान करें। इससे आयु, आरोग्य और ऐश्वर्य की वृद्धि होती है।एक वर्ष तक प्रत्येक मास में यही विधि का पालन करना चाहिए। शर्करासप्तमी तिथिव्रत; देवता सूर्य है। इस व्रत से चिन्ता दूर होती है, पुत्रोत्पत्ति, दीर्घायु एवं स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
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