एस्ट्रो धर्म / पंडित ओम तिवारी :
माना जाता है कि सोमवार और पंचमी एक साथ आने से सोमवार का व्रत रखना और पंचमी पूजा दोनों का महत्व बढ़ जाता है। ऐसे योग में भगवान शिव की उपासना करने और नागों की पूजा करने से भोलेनाथ के भक्तों पर विशेष कृपा बरसती है। यह दिन पितृ दोष और काल सर्प दोष दूर करने के लिए बहुत ही उत्तम माना गया है।
पंचमी हिन्दू पंचाग की एक तिथि है। इस तिथि का हिन्दुओं में बड़ा ही धार्मिक महत्त्व माना जाता है। पंचमी तिथि पर किये गए कार्य शुभफल प्रदान करने वाले माने जाते हैं।
पंचमी में सूर्य और चन्द्र का अन्तर 49° से 60° तक होने पर शुक्ल पक्ष की पंचमी और 229° से 240° तक अन्तर होने पर कृष्ण पक्ष की पंचमी होती है।
पंचमी तिथि का स्वामी सर्प या नाग होता है। यह 'पूर्णा संज्ञक तिथि' है।
इसकी विशेष संज्ञा ‘श्रीमती’ है।
पौष मास के दोनों पक्षों में यह तिथि शून्य फल देती है।
शनिवार के दिन पंचमी पड़ने पर मृत्युदा होती है जिससे इसकी शुभता में कमी आ जाती है। गुरुवार के दिन यही पंचमी सिद्धिदा होकर विशेष शुभ फल देने वाली हो जाती है।
पंचमी तिथि की दिशा दक्षिण है।
शुक्ल पंचमी में शिववास कैलास पर तथा कृष्ण पंचमी में वृषभ पर होने से क्रमशः सुख तथा श्री-प्राप्तिकारक होता है। अतः इसमें शिवार्चन के समस्त उपचार शुभ होते हैं।
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