एस्ट्रो न्यूज़ :



पूरी दुनिया में इस समय कोरोना का कहर जारी है। ऐसे में हर तरह इसके इलाज को लेकर कोशिशें जारी हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे धर्मशास्त्रों में निरोग होने सहित कई विषयों पर विशेष बातें कहीं गई हैं। शरीर को निरोगी बनाने के संबंध में मेष संक्रांति को हमारे यहां विशेष माना गया है।
दरअसल माना जाता है कि इस दिन एक सामान्य स्नान आपको निरोगी बना सकता है। इसके लिए बस आज के दिन आपको नीम के पानी से स्नान करना होगा। इस दिन के इसी गुण के चलते इसे विषुपत संक्रांति या विषपत संक्रांति भी कहा गया है।
विषपत अर्थात विष का नाश करने या विष को गिराने वाली संक्रांति...
ऐसे होता है शरीर में पनप रहे विषाणुओं के जहर का अंत: इसलिए कहते हैं विषपत संक्रांति-
माना जाता है इस दिन स्नान करने से शरीर में किसी भी तरह के विष का खात्मा हो जाता है और शरीर में बन रहा पूरा विष नीम के पानी से स्नान के साथ बह जाता है।
मेष संक्रांति को विषपत या विषुपत संक्रांति भी कहा जाता है, इसके इस नाम के पीछे कुछ कारण हैं। दरअसल इस दिन स्नान का खास महत्व माना गया है, वहीं मान्यता के अनुसार इस दिन नीम के पानी से नहाना अति उत्तम माना जाता है, इस संबंध में पंडित सुनील शर्मा के मुताबिक हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार इस दिन नीम के जल से स्नान करने से सभी प्रकार के रोगों का नाश हो जाता है। वहीं इस दिन स्नान द्वारा शरीर से विषाक्तता निकलने के चलते इसे विषपत या विषुपत संक्रांति भी कहते हैं।
क्या करें आज...
इस स्नान के तहत चूकीं अभी लॉकडाउन के चलते घरों से नहीं निकल पा रहे हैं। अत: घर में ही स्नान वाले पानी में पहले थोड़ा सा गंगा जल मिला ले, फिर उस जल में नीम (जीवाणु नाशक, रक्त्शोधाक एवं त्वचा विकारों में गुणकारी) की पत्तियां डालकर (या नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर) स्नान करें।
मेष संक्रांति के संबंध में माना जाता है कि इस दिन ग्रहों के प्रभाव के चलते आपके शरीर का जहर जो बीमारी उत्पन्न करता है वह आपकी काया के ठीक नीचे आ जाता है, लेकिन यह सामान्य पानी से निकलता नहीं है। ऐसे में नीम के जल से मान्यता के अनुसार ऐसा करने से आपके शरीर का पूरा विष या यूं कहें आपके शरीर में विषाणुओं या और कारणों से बन रहा पूरा जहर इसके द्वारा बाहर बह जाता है।
वहीं देवभूमि उत्तरांचल में मान्यता है कि इस दिन वहां मिलने वाली कहरू नाम घास, जिसमें कि नीम के समान औषधीय गुण होते हैं, उसे पानी में डाल कर स्नान करने से शरीर के सभी प्रकार के विष नष्ट हो जाते हैं या बाहर निकल जाते हैं।
नीम इसलिए भी खास...
आयुर्वेद में नीम को बहुत ही उपयोगी पेड़ माना गया है। इसका स्वाद तो कड़वा होता है लेकिन इसके फायदे अनेक और बहुत प्रभावशाली है।
1- नीम की छाल का लेप सभी प्रकार के चर्म रोगों और घावों के निवारण में सहायक है।
2- नीम की दातुन करने से दांत और मसूड़े स्वस्थ रहते हैं।
3- नीम की पत्तियां चबाने से रक्त शोधन होता है और त्वचा विकार रहित और कांतिवान होती है। हां पत्तियां अवश्य कड़वी होती हैं, लेकिन कुछ पाने के लिये कुछ तो खोना पड़ता है मसलन स्वाद।
4- नीम की पत्तियों को पानी में उबाल उस पानी से नहाने से चर्म विकार दूर होते हैं और ये खासतौर से चेचक के उपचार में सहायक है और उसके विषाणु को फैलने न देने में सहायक है।
5- नींबोली (नीम का छोटा सा फल) और उसकी पत्तियों से निकाले गये तेल से मालिश की जाये तो शरीर के लिये अच्छा रहता है।
6- नीम के द्वारा बनाया गया लेप बालो में लगाने से बाल स्वस्थ रहते हैं और कम झड़ते हैं।
7- नीम की पत्तियों के रस को आंखों में डालने से आंख आने की बीमारी में लाभ मिलता है(नेत्रशोथ या कंजेक्टिवाइटिस)
8- नीम की पत्तियों के रस और शहद को 2:1 के अनुपात में पीने से पीलिया में फायदा होता है और इसको कान में डालने से कान के विकारों में भी फायदा होता है।
9- नीम के तेल की 5-10 बूंदों को सोते समय दूध में डालकर पीने से ज़्यादा पसीना आने और जलन होने सम्बन्धी विकारों में बहुत फायदा होता है।
10- नीम के बीजों के चूर्ण को खाली पेट गुनगुने पानी के साथ लेने से बवासीर में काफ़ी फ़ायदा होता है।
कोरोना : एक विष समान
जानकारों की मानें तो कोरोना भी एक प्रकार का विष ही हमारे अंदर निर्मित करता है, अत: ऐसे में इस दिन का विशेष स्नान लोगों को काफी राहत दे सकता है। चूकिं इस स्नान को शरीर से विष निकालने वाला माना जाता है, ऐसे में 13 अप्रैल को स्नान इस बार कई तरह से महत्वपूर्ण हो गया है
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