बीकानेर। धार्मिक और सांस्कृतिक चेतना का प्रमुख केन्द्र बन चुका श्रीलालेश्वर महादेव मन्दिर शिवमठ, शिवबाड़ी के 136वें प्रतिष्ठा महोत्सव कार्यक्रम के अन्तर्गत आज शिवालय परिसर में मुख्य कार्यक्रम का आयोजन बड़ी धूमधाम और हर्षोउल्लास के वातावरण में स्वामी संवित् सोमगिरिजी महाराज की अध्यक्षता में मनाया गया। प्रातरू काल में मुख्य मन्दिर परिसर में महादेव मण्डल द्वारा रुद्राभिषेक एवं यज्ञाचार्य पं. नथमलजी द्वारा किये गये रुद्रयज्ञ से सम्पूर्ण वातावरण पूर्णतया शिवमय हो गया। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में स्वामी संवित् सोमगिरिजी ने कहा कि दर्शन सनातन संस्कृति की आत्मा है तथा धर्म सनातन संस्कृति की नींव है। दर्शन यदि पूर्ण व्यापक, शास्त्रानुरूप नहीं होता तो संस्कृति के भटकने का खतरा बढ़ जाता है। दर्शन अर्थात् सिद्धान्त जितना सही होगा साधक का आध्यात्मिक विकास भी उतना ही होगा। प्रतिष्ठा महोत्सव कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्ज्वलन से हुई, डॉ. शशि गुप्ता व श्रीमती मंजू गंगल ने यति स्तुति प्रस्तुत की, विवेक सारस्वत ने श्तुम से है जो जोडी, सांची प्रीत मोरी्य भजन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सोगी रमणनाथ जी, सांभर एवं जोधपुर के स्वामी भूमानन्दजी सरस्वती थे। पू.पू. स्वामीजी द्वारा लिखित पुस्तक श्श्रीदक्षिणामुर्ति स्त्रोत्य का विमोचन मंचस्थ मनीषियों द्वारा किया गया। विनोद शर्मा द्वारा वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए कहा कि आज का दिन कृतज्ञता ज्ञापित करने एवं देश के प्रति कत्र्तव्य को निभाने का दिवस है। मुख्य अतिथि योगी रमणनाथ जी ने कहा कि भगवान दक्षिणामूर्ति का प्रादूर्भाव पृथ्वी से भ्रष्टाचार का समूल नाश करने के लिये हुआ था। आज भी आचार्य शंकर का अद्वैत दर्शन उतना ही उपयोगी व प्रासंगिक है। स्वामी भूमानन्द सरस्वती ने कहा कि जब से हमने शास्त्र की, गुरु की, सत्संग की अवहेलना की है तब से व्यक्ति, परिवार व समाज में टूटन बढ़ी है। उन्होंने कहा कि माँ की गोद प्रत्येक बालक का सर्वश्रेष्ठ विद्यालय है। कम आयु में बाल को विद्यालय में भेजने से उसका बचपन मुरझाना शुरू हो जाता है। स्वामीजी द्वारा बीकानेर में निशानेबाजी खेल को पुनरू शीर्ष पर पहुंचाने के उद्देश्य से संवित् शूटिंग संस्थान की स्थापना की गई यहाँ से प्रशिक्षित अनेक निशानेबाजों ने राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ना केवल बीकानेर का अपितू भारत का नाम भी रोशन किया है। प्रतिष्ठा महोत्सव कार्यक्रम में संवित् शूटिंग संस्थान के होनहार निशानेबाजों दीक्षिता कंवर, हेमेन्द्र सिंह, कर्णव विश्नोई, शूटिंग कोच मनोज शर्मा के साथ-साथ राजेन्द्र सिंह, बजरंग सिंह, शैलेश व राकेश का कार्यकर्ता के रूप में शाल ओढ़ा कर व स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया गया। मंच पर मानव प्रबोधन प्रन्यास के संरक्षक बृज गोपाल व्यास, ट्रस्टी जगदीश सांखला, अविनाश मोदी, डा. केशवानन्द शास्त्री, स्वामी राजेश्वरगिरि आदि भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का समापन महाप्रसादी के साथ हुआ। कार्यक्रम का संचालन मानव प्रबोधन प्रन्यास के सचिव विनोद शर्मा ने किया।
बीकानेर। धार्मिक और सांस्कृतिक चेतना का प्रमुख केन्द्र बन चुका श्रीलालेश्वर महादेव मन्दिर शिवमठ, शिवबाड़ी के 136वें प्रतिष्ठा महोत्सव कार्यक्रम के अन्तर्गत आज शिवालय परिसर में मुख्य कार्यक्रम का आयोजन बड़ी धूमधाम और हर्षोउल्लास के वातावरण में स्वामी संवित् सोमगिरिजी महाराज की अध्यक्षता में मनाया गया। प्रातरू काल में मुख्य मन्दिर परिसर में महादेव मण्डल द्वारा रुद्राभिषेक एवं यज्ञाचार्य पं. नथमलजी द्वारा किये गये रुद्रयज्ञ से सम्पूर्ण वातावरण पूर्णतया शिवमय हो गया। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में स्वामी संवित् सोमगिरिजी ने कहा कि दर्शन सनातन संस्कृति की आत्मा है तथा धर्म सनातन संस्कृति की नींव है। दर्शन यदि पूर्ण व्यापक, शास्त्रानुरूप नहीं होता तो संस्कृति के भटकने का खतरा बढ़ जाता है। दर्शन अर्थात् सिद्धान्त जितना सही होगा साधक का आध्यात्मिक विकास भी उतना ही होगा। प्रतिष्ठा महोत्सव कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्ज्वलन से हुई, डॉ. शशि गुप्ता व श्रीमती मंजू गंगल ने यति स्तुति प्रस्तुत की, विवेक सारस्वत ने श्तुम से है जो जोडी, सांची प्रीत मोरी्य भजन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सोगी रमणनाथ जी, सांभर एवं जोधपुर के स्वामी भूमानन्दजी सरस्वती थे। पू.पू. स्वामीजी द्वारा लिखित पुस्तक श्श्रीदक्षिणामुर्ति स्त्रोत्य का विमोचन मंचस्थ मनीषियों द्वारा किया गया। विनोद शर्मा द्वारा वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए कहा कि आज का दिन कृतज्ञता ज्ञापित करने एवं देश के प्रति कत्र्तव्य को निभाने का दिवस है। मुख्य अतिथि योगी रमणनाथ जी ने कहा कि भगवान दक्षिणामूर्ति का प्रादूर्भाव पृथ्वी से भ्रष्टाचार का समूल नाश करने के लिये हुआ था। आज भी आचार्य शंकर का अद्वैत दर्शन उतना ही उपयोगी व प्रासंगिक है। स्वामी भूमानन्द सरस्वती ने कहा कि जब से हमने शास्त्र की, गुरु की, सत्संग की अवहेलना की है तब से व्यक्ति, परिवार व समाज में टूटन बढ़ी है। उन्होंने कहा कि माँ की गोद प्रत्येक बालक का सर्वश्रेष्ठ विद्यालय है। कम आयु में बाल को विद्यालय में भेजने से उसका बचपन मुरझाना शुरू हो जाता है। स्वामीजी द्वारा बीकानेर में निशानेबाजी खेल को पुनरू शीर्ष पर पहुंचाने के उद्देश्य से संवित् शूटिंग संस्थान की स्थापना की गई यहाँ से प्रशिक्षित अनेक निशानेबाजों ने राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ना केवल बीकानेर का अपितू भारत का नाम भी रोशन किया है। प्रतिष्ठा महोत्सव कार्यक्रम में संवित् शूटिंग संस्थान के होनहार निशानेबाजों दीक्षिता कंवर, हेमेन्द्र सिंह, कर्णव विश्नोई, शूटिंग कोच मनोज शर्मा के साथ-साथ राजेन्द्र सिंह, बजरंग सिंह, शैलेश व राकेश का कार्यकर्ता के रूप में शाल ओढ़ा कर व स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया गया। मंच पर मानव प्रबोधन प्रन्यास के संरक्षक बृज गोपाल व्यास, ट्रस्टी जगदीश सांखला, अविनाश मोदी, डा. केशवानन्द शास्त्री, स्वामी राजेश्वरगिरि आदि भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का समापन महाप्रसादी के साथ हुआ। कार्यक्रम का संचालन मानव प्रबोधन प्रन्यास के सचिव विनोद शर्मा ने किया।
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