जयपुर। कथावाचक किरीट भाई ने कहा है कि गीता वैश्विक ग्रंथ है और इसे सीमाओं में नही बांधना चाहिए। गीता को राष्ट्रीय नहीं अन्तर्राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किया जाना चाहिए।  किरीट भाई ने शुक्रवार को  कहा कि गीता वैश्विक ग्रंथ है। गीता किसी धर्म या सम्प्रदाय की स्थापना नहीं करती बल्कि सम्पूर्ण मानवजाति के उद्धार का मार्ग बताती है। चाहे वह किसी राष्ट्र ,जाति या वर्ण का हो। ऐसे मेंं  गीता राष्ट्रीय ग्रंथ कैसे हो सकती है उसे राष्ट्रीय नहीं अन्तर्राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजनीति में सर्वप्रथम स्व को छोडकर सर्व की विचारधारा रखने पर विश्व की उन्नति हो सकती है। राजनीति जब तक धर्म की छत्रछाया में रहेगी ,इसमें सुख, सम्पत्ति, उन्नति और सुरक्षा सभी मिलेगी, लेकिन इसे उलट देने से तो अशांति हो जाएगी।  उन्होंने कहा कि गीता व्यावहारिक है इसमें राजनीति, मनोविज्ञान, दर्शनशास्त्र, अर्थशास्त्र, सामाजिक और पारिवारिक जीवन के बारे में उल्लेख किया गया है। इसे घोषित करने या थोपने की जरूरत ही नहीं है। हर व्यक्ति को अपनी इच्छा और मान्यता को पूर्ण करने का सम्पूर्ण अधिकार है।  उन्होंने कहा कि गीता संपूर्ण मानवजाति के लिए एक विश्वकोष है।  किरीट भाई ने कहा कि गीता मेें वाद-विवाद का उल्लेख नहीं है। गीता में जीवन के सभी सवालों के जवाब है। गीता में मानव की समस्या को लेकर जो जवाब दिया गया है उसकी कोई सीमा नहीं है। गीता के 700 श्लोकों में न सनातन शब्द है, न हिन्दू, न ही किसी धर्म का उल्लेख। यह एक तरह से व्यवहार का विज्ञान :साइन्स ऑफ बिहेवियर: है। उन्होंने कहा कि गीता व्यावहारिक है इसमें राजनीति, मनोविज्ञान, दर्शनशास्त्र, अर्थशास्त्र, सामाजिक और पारिवारिक जीवन के बारे में उल्लेख किया गया है। जो लोग वास्तव में जीवन के प्रति गंभीर हंै ,उनके लिए गीता आवश्यक है।
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