भीलवाड़ा । व्यक्ति को मन में कभी भी गांठ नहीं बांधनी चाहिए। अगर किसी भी व्यक्ति से कोई बात हो जाये तो उसे तुरन्त समाप्त कर देना चाहिये। यह कहना है महामण्डलेष्वर स्वामी जगदीष पुरी महाराज का।अग्रवाल उत्सव भवन में चातुर्मास प्रवचन के दौरान आयोजित धर्मसभा को यमराज-निचिकेता प्रसंग पर उद्बोधित करते हुए स्वामी जी ने बताया कि मतभेद और विवाद किसी के भी बीच में हो सकते हैं किन्तु उन विवाद और मतभेद को लम्बे समय तक नहीं चलाना चाहिये। किसी से अगर कोई बात हो भी गई हो तो उस बात को वहीं समाप्त कर लेना चाहिये। आवेष में व्यक्ति गलत बात बोल देता है किन्तु यदि अन्र्तमात्मा बोले कि हमने कुछ गलत किया है तो उस गलती को स्वीकार कर सामने वाले से उसके लिये क्षमा अवष्य मांग लेनी चाहिये। गलत करने के बाद यदि व्यक्ति को गलती का अहसास हो जाये और वो उस गलती को नहीं माने तो सबसे बडी गलती है। जिस व्यक्ति के मन में दुर्भावना और गांठें पडी रहती है वो व्यक्ति जीवन में कभी सफल नहीं हो सकते हैं। धर्मसभा को संत नारायण चैतन्य ने ’’जग में सुन्दर दो ये नाम, चाहे कृष्ण को या राम’’ भजन से संगीतमय बनाया।संपूर्ण ब्राह्मण महिला मण्डल द्वारा चातुर्मास सेवा सप्ताह के अंतर्गत विभिन्न सेवाकार्य एवं आयोजन करवाये जा रहे हैं। समाज का चातुर्मास समिति के टी.सी. चैधरी, भरत व्यास व संजय निमोदिया आदि ने स्वागत किया एवं अतिथियों ने माल्यार्पण कर महामण्डलेष्वर का आषीर्वाद प्राप्त किया। समिति द्वारा आगामी 2 से 9 सितम्बर 2014 भागवत सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है जिसके यजमान बनने हेतु समिति सदस्यों से संपर्क किया जा सकता है।
पंकज पोरवाल
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