भीलवाड़ा। सुपुत्र वही है जो अपने मां-‘बाप का कही बात का अक्षरक्ष पालन करे, मां-बाप की बात को प्रभू आदेश माने। यह कहना है महामण्डलेश्वर स्वामी जगदीष पुरी महाराज का।अग्रवाल उत्सव भवन में चातुर्मास प्रवचन के दौरान आयोजित धर्मसभा को यमराज-निचिकेता प्रसंग पर उद्बोधित करते हुए स्वामी जी ने बताया कि पुत्र-पुत्रियां तो सभी है किन्तु सही मायने में सुपुत्र और सुपुत्री कहलाने का असली हकदार वही है जो अपने मां-बाप की हर आज्ञा का पालन करें क्योंकि माता-पिता कभी अपने बच्चों का बुरा नहीं सोचते, बुरा नहीं करते, बच्चों को भी चाहिए कि वो अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करें। इसी प्रकार षिष्य को गुरु की बात को माननी चाहिए। उसके कहे अनुसार और धर्म अनुसार आचरण करना चाहिए। प्रसंग में निचिकेता भी सुपुत्र की भांति अपने पिता की बात का पालन करते हुए मृत्यु के देवता यमराज के पास जाने में भी नहीं हिचकता। उसे अपने पिता के आदेष का पालन करना था और उसकी सोच थी कि यदि उसके पिता उसे मृत्यु के द्वार पर भेज रहे हैं तो भी उसका बुरा नहीं हो सकता और हुआ भी ऐसा ही। पिता ने क्रोध के चलते पुत्र को यमराज के पास तो भेज दिया किनतु यमराज ने निचिकेता की पितृ पे्रम देख उसे तीन वरदान दे डाले। मां-बाप के चरणों में संसार के समस्त देवी-देवता का सुख है जो व्यक्ति इस बात को समझ जाता है वो तीनों लोक के सुख का आनन्द यही प्राप्त कर लेता है।धर्मसभा को संत महेन्द्र चैेतन्य ने भजन से संगीतमय बनाया।धर्मसभा में पधारे अतिथियों का चातुर्मास समिति के टी.सी. चैधरी, भरत व्यास आदि ने स्वागत किया एवं अतिथियों ने माल्यार्पण कर महामण्डलेश्वर का आषीर्वाद प्राप्त किया।
पंकज पोरवाल
भीलवाड़ा
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