Kali Prasad Sharma
  "माँ" एक ऐसा शब्द है जो बोलने में बहुत छोटा है , लेकिन तोलने में सभी रिश्तों से भारी है * "माँ " की महिमा के लिए कहे गए ये शब्द अपने आप में एक ग्रन्थ समाहित किये हुए है "जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी"* राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन का यह कथन बहुत कुछ कह जाता है "माँ , मातृभूमि व मातृभाषा सदैव पूजनीय है " * भूतपूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अबुल कलाम ने तो भ्रष्टाचार पर अपना मत व्यक्त करते हुए यहाँ तक कह दिया था कि किसी राष्ट्र को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए 3 व्यक्ति सक्षम हैं --- पिता , माता और गुरु * माँ वह प्राणी है जो बिना मुँह देखे प्रेम करना प्रारम्भ कर देती है * इस चराचर जगत में निस्वार्थ सेवा का कोई उदाहरण है तो वह है संतान का पालन पोषण - रात रात भर जागना , संतान के स्वास्थ्य की कीमत पर अपने स्वास्थ्य को दांव पर लगा देना , संतान को बचाने के लिए किसी भी खतरे से दो-चार हो जाना आदि आदि * किसी ने सच ही कहा है कि पुत्र कुपुत्र हो सकता है माता कुमाता नहीं होती * संतान को धरा पर लाने के लिए माँ अपनी जान जोखिम में डालती है , मरणांतक पीड़ा सहकर अनुपम कृति का सृजन करती है * अलग अलग युगों में दानवों का संहार करने के लिए मातृशक्ति को या तो माध्यम बनाया गया या सीधे सीधे अलग अलग रूपों में शक्ति ने स्वयं इस कार्य को अंजाम दिया * कोई प्राणी और कोई भी ऋण चुका सकता है लेकिन मातृऋण से उऋण नहीं हो सकता * आज मातृदिवस है , प्रत्येक व्यक्ति को यह प्रण लेना चाहिए कि ममत्व आहत हो ऐसा कोई कार्य नहीं करें * माँ और संतान का रिश्ता शाश्वत सत्य है ,आज तक संदेह के घेरे में पितृत्व ही आया है * मातृशक्ति को सादर नमन सहित प्रार्थना कि वह भविष्य की माताओं की गर्भ- हत्या न करे न करने दे --जय परशुराम ---

 
AKHIL VISHWA KHANDAL BANDHU EKTA
कालीप्रसाद शर्मा
खाण्डल समाज को नमस्कार --
Axact

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