एस्ट्रो धर्म :
ज्योतिषीय शास्त्र में चन्द्रमा का मन से बेहद गहरा सम्बन्ध है। इसीलिए समस्त प्राणियों के लिए मानसिक सुख और शान्ति का प्रभाव कारक ग्रह चन्द्रमा को माना गया है। चन्द्रमा एक जलीय ग्रह है और यह कर्क राशि का स्वामी है। यह वृष राशि में शुभ और वृश्चिक राशि में अशुभ फल देता है। यदि यह अशुभ ग्रहों कि युति में है तो मन में हमेशा विध्वंसक विचार जन्म लेते रहते हैं। यदि शुभ ग्रहों का साथ है तो शुभ विचारों की उत्पत्ति होती है। ज्योतिष शास्त्र में चन्द्र ग्रह उत्तर-पश्चिम दिशाओं का प्रतिनिधित्व करता है। चन्द्र का भाग्य रत्न मोती है। चन्द्र ग्रह का रंग श्वेत, चांदी माना गया है। चन्द्र का शुभ अंक 2, 11, 20 है।
ज्योतिषानुसार यह शरीर में बाईं आंख, गाल, मांस, रक्त बलगम, वायु, स्त्री में दाईं आंख, पेट, भोजन नली, गर्भाशय, अण्डाशय, मूत्राशय चन्द्र कुण्डली में कमजोर या पीड़त हो तो व्यक्ति को ह्रदय रोग, फेफडे, दमा, अतिसार, दस्त गुर्दा, बहुमूत्र, पीलिया, गर्भाशय के रोग, माहवारी में अनियमितता, चर्म रोग, रक्त की कमी, नाडी मण्डल, निद्रा, खुजली, रक्त दूषित होना, फफोले, ज्वर, तपेदिक, अपच, बलगम, जुकाम, सूजन, जल से भय, गले की समस्याएं, उदर-पीडा, फेफडों में सूजन, क्षयरोग पैदा करता है। चन्द्रमा से प्रभावित रहने वाला व्यक्ति बार-बार विचार बदलने वाला होता है।
ज्योतिष के अनुसार जन्म कुंडली में चन्द्रमा यदि अपनी ही राशि में या मित्र, उच्च राशि षड्बली, शुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो चन्द्रमा की शुभता में वृद्धि होती है। जन्म कुण्डली में चंद्रमा यदि मजबूत एवं बली अवस्था में हो तो व्यक्ति समस्त कार्यों में सफलता पाने वाला तथा मन से प्रसन्न रहने वाला होता है। ऐसा व्यक्ति पद प्राप्ति, पदोन्नति, जलोत्पन्न, तरल एवं श्वेत पदार्थों के कारोबार से लाभ पाता है।
चंद्रमा के अशुभ असर को कम करने के लिए चावल, दूध, चांदी, मोती, दही, मिश्री, श्वेत वस्त्र, श्वेत फूल या चन्दन. इन वस्तुओं का दान सोमवार के दिन सायंकाल में करना चाहिए। जिनकी कुंडली में चन्द्र अशुभ हो उन्हें चंद्र की शुभता लेने के लिए माता, नानी, दादी, सास एवं इनके पद के समान वाली स्त्रियों का आशीर्वाद लेना चाहिए।
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