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ज्योतिषं सूर्यादि ग्रहाणां बोधकं शास्त्रम् यानि सूर्यादि ग्रहों के विषय में ज्ञान कराने वाले शास्त्र को ज्योतिष शास्त्र कहते हैं। इसी ज्योतिष में मुख्य रूप से 9 ग्रहों को माना जाता है। जिनमें से एक प्रमुख है सूर्य, जो इन ग्रहों का राजा भी माना जाता है। व्यक्ति में इसे आत्मा का कारक माना गया है। इसका रत्न माणिक्य व प्रमुख पाठ आदित्यह्दय स्त्रोत माना जाता है।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार सूर्य हमारे जीवन को कई तरह से प्रभावित करता है। ज्योतिष के प्रमुख ग्रहों में होने के कारण हर राशि पर इसका खास असर देखने को मिलता है। वहीं विभिन्न राशियों में सूर्य की चाल के आधार पर ही हिन्दू पंचांग की गणना संभव है। जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करता है तो उसे एक सौर माह कहते हैं। राशिचक्र में 12 राशियां होती हैं। अतः राशिचक्र को पूरा करने में सूर्य को एक वर्ष लगता है। अन्य ग्रहों की तरह सूर्य वक्री नहीं करता है।
इसके साथ ही सूर्य की अन्य ग्रहों के साथ की स्थिति भी व्यक्ति को अनेक प्रकार से प्रभावित करती है। सूर्य सृष्टि को चलाने वाले प्रत्यक्ष देवता का रुप हैं। कुंडली में सूर्य व्यक्ति की आजीविका में सूर्य सरकारी पद का प्रतिनिधित्व करता है। व्यक्ति को सिद्धान्तवादी बनाता है।
इसके अतिरिक्त सूर्य कार्यक्षेत्र में कठोर अनुशासन अधिकारी, उच्च पद पर आसीन अधिकारी, प्रशासक, समय के साथ उन्नति करने वाला, निर्माता, कार्यो का निरिक्षण करने वाला बनाता है। सूर्य कि कुंडली में मजबूत स्थिति व्यक्ति को कुछ अधिक सशक्त बना देती है। सूर्य सिंह राशि का स्वामी है और मेष राशि में यह उच्च होता है, जबकि तुला इसकी नीच राशि है।
मजबूत सूर्य का असर:
ज्योतिष में सूर्य ग्रह अपनी मित्र राशियों में उच्च होता है जिसके प्रभाव से जातकों को अच्छे फल प्राप्त होते हैं। इस दौरान व्यक्ति के बिगड़े कार्य बनते हैं। बली सूर्य के कारण जातक के मन में सकारात्मक विचार पैदा होते हैं और जीवन के प्रति वह आशावादी होता है। सूर्य के प्रभाव से व्यक्ति अपने जीवन में प्रगति करता है और समाज में उसका मान-सम्मान प्राप्त होता है। यह व्यक्ति के अंदर अच्छे गुणों को विकसित करता है।
इसके साथ ही बली सूर्य जातक को लक्ष्य प्राप्ति, साहस, प्रतिभा, नेतृत्व क्षमता, सम्मान, ऊर्जा, आत्म-विश्वास, आशा, ख़ुशी, आनंद, दयालु, शाही उपस्थिति, वफादारी, कुलीनता, सांसारिक मामलों में सफलता, सत्य, जीवन शक्ति आदि को प्रदान करता है।
नीच या पीड़ित सूर्य का असर: नजर को तक करता है कमजोर...
जबकि इसके ठीक विपरीत नीच का या पीड़ित सूर्य जातक को अहंकारी, उदास, विश्वासहीन, ईर्ष्यालु, क्रोधी, महत्वाकांक्षी, आत्म केंद्रित, क्रोधी आदि बनाता है। वहीं आंखों से जूड़ी समस्या से लेकर नजर यानि दृष्टि का कमजोर होना भी सूर्य के कमजोर या पीडित होने की निशानी मानी जाती है।
सूर्य का वैदिक मंत्र | Sun’s Vedic Mantra
ॐ आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च।
हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्।।
सूर्य का तांत्रिक मंत्र
ॐ घृणि सूर्याय नमः।।
सूर्य का बीज मंत्र | Sun’s Beej Mantra
ऊँ ह्रं ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम: ।।
सूर्य के लिए गेहूं, तांबा, रुबी, लाल वस्त्र, लाल फूल, चन्दन की लकडी, केसर आदि दान किये जा सकते है।
सूर्य पर्वत : ऐसे समझें...
माना जाता है यदि हथेली में सूर्य पर्वत के साथ यदि बृहस्पति का पर्वत भी उन्नत है, तो ऐसा व्यक्ति विद्वान, ज्ञानवान, मेधावी और धार्मिक विचारों वाला होता है। यदि सूर्य और शुक्र पर्वत दोनों ही उभार लिए हों तो ऐसा व्यक्ति विपरीत-लिंग पर शीघ्र एवं स्थायी प्रभाव डालने वाला होता है।
यही नहीं इन विशेषता वाला व्‍यक्‍ति धनवान, परोपकारी, सफल प्रशासक, सौंदर्य और विलासिताप्रिय भी होता है। पं.शर्मा के अनुसार जिस तरह से सूर्य पर्वत का अच्छा होना व्यक्‍ति के जीवन में अनेक सुविधाएं और सम्‍मान का कारण बनता है, वैसे ही यदि सूर्य पर्वत दूषित हो जाए तो व्यक्ति कामी, लोभी, घमंडी और चरित्रहीन हो जाता है।
सूर्य पर्वत पर यदि जाल हो तो व्‍यक्‍ति गर्व करने वाला, लेकिन कुटिल स्वभाव का होता है। ऐसा व्‍यक्‍ति किसी पर विश्वास नहीं करता। सूर्य पर्वत पर तारे का चिन्ह हो तो यह धन का नुकसान करने वाला होता है। हालांकि यह व्यक्ति को बेहद प्रसिद्धि भी देता है। गुणा का चिह्न हो तो सट्टा या शेयर में व्‍यक्‍ति को धन का नुकसान हो सकता है।
सूर्य पर्वत पर त्रिभुज का होना उच्च पद की प्राप्ति, प्रतिष्ठा तथा प्रशासनिक लाभ मिलने का संकेत होता है। सूर्य पर्वत पर चौकड़ी हो तो सर्वत्र लाभ तथा सफलता की प्राप्ति होती है। यहां पर त्रिशूल का चिन्ह यश, आनंद, विलासिता और सफलता देता है।
हथेली में सूर्य रेखा का प्रभाव...
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार हमारी हथेली की रेखाएं और चिह्न हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं। इन्हीं रेखाओं में से एक है सूर्य रेखा। हाथ में सूर्य रेखा कहीं से भी निकल रही हो तो इसका व्यापक असर व्यक्ति के जीवन में पड़ता है।
इस रेखा से आप अपनी ना केवल आर्थिक जानकारी के बारे में जान सकते हैं, बल्कि आप अपने भविष्य से भी अवगत हो सकते हैं। पंडित शर्मा के अनुसार आपकी हाथों की लकीरों के कुछ ऐसे संयोग, जिससे आपकी जिंदगी पर अच्छा खासा प्रभाव पड़ता है…
: सूर्य रेखा को हस्तरेखा शास्त्र में बहुत शुभ माना जाता है। मान्यता के अनुसार जिस व्यक्ति की हथेली पर यह रेखा होता है, उसके जीवन में कभी भी सुख की कमी नहीं होती है। वहीं जिस व्यक्ति की हथेली पर सूर्य रेखा- भाग्य रेखा पर समाप्त होती है, उसकी आयु काफी मानी जाती है।
: माना जाता है कि जिस जातक की हथेली पर सूर्य रेखा बृहस्पति पर्वत तक पहुंच जाती है और वह पर्वत तक पहुंचकर रेखा के अंत में कोई तारा जैसा चिह्न बना हो, तो ऐसा व्यक्ति बहुत बड़ा अधिकारी बनता है। वहीं सूर्य रेखा यदि मस्तिष्क रेखा पर जाकर समाप्त हो जाए, तो वह व्यक्ति विद्वान और बुद्धिमान होता है।
: हथेली पर सूर्य और बुध पर्वत आपस में मिल जाएं और मस्तिष्‍क रेखा पर बुध और सूर्य रेखा मिल गई हों तो माना जाता है कि ऐसे योग वाला जातक प्रसिद्ध व्‍यापारी बनता है और करोड़ों रुपए कमाता है। ऐसे व्यक्ति देश में ही नहीं विदेश में भी अपना व्यापार करता है।
: जिस जातक की हथेली पर सूर्य रेखा - हृदय रेखा पर जाकर समाप्त होती है वह उदार होता है। वह परोपकार और दान-पुण्य का कार्य काफी करता है। वहीं सूर्य रेखा प्रारंभ या फिर अंत में कांटे की तरह विभाजित हो जाए, तो ऐसा व्यक्ति अपना जीवन काफी सुखी और समृद्ध तरीके से व्यतीत करता है।
: वहीं यदि किसी जातक की हथेली में सूर्य रेखा साफ हो, लेकिन उस पर अंडाकर चिह्न बने हों, साथ ही कोई अन्य रेखा आकर काट जाए तो यह अशुभ माना गया है। ऐसे व्यक्ति के जीवन में सम्मान और पैसों की बहुत कमी आती है। ऐसे व्यक्ति का मन हमेशा भटकता रहता है, उसका किसी भी काम में मन नहीं लगता है।
: यदि किसी जातक की हथेली पर सूर्य रेखा के साथ-साथ भाग्य रेखा और बुध रेखा तीनों मणिबंध से निकल रही हों और सीधी सरल और साफ हो तो माना जाता है कि ऐसे व्यक्ति के पास कुबेर के समान धन होता है। वह शुरुआत में तो मेहनत करता है, लेकिन बाद में उसको सुख, ऐश्वर्य व आनंद की प्राप्ति होती है।
: यदि जातक की सूर्य रेखा - जीवन रेखा पर जाकर समाप्त हो रही हो तो यह काफी शुभ माना जाता है। ऐसे व्यक्ति अपने-अपने क्षेत्रों में काफी प्रसिद्ध होते हैं। वहीं सूर्य रेखा अगर चंद्र पर्वत तक जाती है तो ऐसे व्यक्ति प्रसिद्ध एक्टर, सिंगर या फिर पॉलिटिशन आदि बनते हैं।
कमजोर सूर्य का असर!
ऐसा नहीं है कि सूर्य हमेशा जीवन में आपको मजबूती सुख, ऐश्वर्य व आनंद ही देता है। पंडित शर्मा के अनुसार सूर्य कमजोर या नीच का होने पर जीवन को मुश्किलों से भर देता है। जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है उनमें आत्‍मविश्‍वास की बहुत कमी होती है। साथ ही ये आंखों के रोग का कारक भी माना जाता है।
ऐसे लोग प्रतिभा होने के बावजूद खुद को अच्छे से प्रस्‍तुत नहीं कर पाते। जिन लोगों का सूर्य कमजोर होता है उन्हें जीवन में यश नहीं मिल पाता। ऐसे लोग अगर कुछ अच्छा काम भी करते हैं तो उसका पूरा क्रेडिट नहीं मिल पाता। यहां तक की गई बार अच्छा कार्य करने के बावजूद उनके हाथ बदनामी ही लगती है। इसके अलावा कमजोर सूर्य वाले लोगों को या तो अपने जीवन में पिता का सुख नहीं मिलता या फिर अपने पिता के साथ उनके हमेशा मतभेद बने रहते हैं।
जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है, उनके जीवन में सरकारी समस्याएं यानी के कानूनी मुद्दे बहुत ज्यादा आते हैं और वे किसी ना किसी सरकारी झंझट में फसें रहते हैं। जो लोग सरकारी जॉब की तैयारी करते हैं उनके लिए कमजोर सूर्य सबसे बड़ी बाधा बनता है। इस स्‍थिति में सरकारी नौकरी मिलने की संभावनाएं बहुत कम होती हैं या फिर बहुत ज्यादा संघर्ष के बाद ही सरकारी नौकरी मिल पाती है।
इसके अलावा कमजोर सूर्य आंखों और हड्डियों की समस्याएं पैदा करता है। ऐसे लोगों को दृष्‍टि दोष की समस्या अक्सर हो जाती है। ऐसे लोगों को कैल्शियम की कमी की समस्या भी परेशान करती है। कमजोर सूर्य वाले लोगों को बाल झड़ने की समस्‍या भी बहुत अधिक होती है।
ऐसे करें सूर्य को मजबूत...
: 'आदित्य हृदय स्तोत्र' का पाठ रोज सुबह एक निश्चित समय पर करें।
: 'ॐ घृणि सूर्याय नमः' इस मंत्र की रोज एक माला जाप करें।
: रोज सुबह सूर्य को जल चढ़ाएं।
: अपने मस्तक पर रोली या लाल चन्दन का तिलक लगाएं।
: किसी जानकार के परामर्श के बाद माणिक भी पहन सकते हैं।
: पिता का सम्‍मान और सेवा करें, इससे भी सूर्य मजबूत होता है।
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