एस्ट्रो धर्म :
सनातनधर्म में भगवान शिव को आदि पंच देवों में से एक माना गया है। यूं तो शिव शंकर इतने भोले हैं, कि भक्तों की छोटी से छोटी बात पर ही प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद दे देते हैं। इसी कारण उनका एक नाम भोलेनाथ भी है।
लेकिन महादेव शिव के प्रतीक शिवलिंग को घर में स्थापित करने पर हमें कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि यदि भगवान शिव भोले हैं तो उनका क्रोध भी बहुत भयंकर होता है ।
शिवलिंग की पूजा यदि सही नियम और विधि-विधान से की जाए तो यह अत्यन्त फलदायी होती है, परन्तु वहीं यदि शिवलिंग की पूजा में कोई त्रुटि हो जाए तो ये गलती किसी मनुष्य के लिए विनाशकारी भी सिद्ध हो सकती है।
कभी भी घर के मंदिर में न करें ये गलतियां...
हिन्दुओं के सभी घरों में देवी-देवताओं के लिए एक अलग स्थान होता है। कुछ घरों में भक्तों द्वारा छोटे-छोटे मंदिर भी बनवाए जाते हैं, लेकिन जानकारों के अनुसार कई बार अज्ञानता के कारण हम मंदिर में कुछ ऐसी गलतियां कर देते हैं, जो अशुभ प्रभाव देती हैं।
हिन्दुओं के सभी घरों में देवी-देवताओं के लिए एक अलग स्थान होता है। कुछ घरों में भक्तों द्वारा छोटे-छोटे मंदिर भी बनवाए जाते हैं, लेकिन जानकारों के अनुसार कई बार अज्ञानता के कारण हम मंदिर में कुछ ऐसी गलतियां कर देते हैं, जो अशुभ प्रभाव देती हैं।
घर के मंदिर में इन बातों का रखें ध्यान
1. कभी भी श्री गणेश जी की तीन प्रतिमाएं न रखें।
2. घर के मंदिर में कभी भी दो शंख न रखें।
3. बड़ी मुर्तियां न रखें, शिवलिंग भी आपके अंगुठे के आकार से बड़ा न हो। शिवलिंग अत्यधिक संवेदनशील होता है, इस कारण घर के मंदिर में छोटा सा शिवलिंग रखना ही शुभ माना जाता है।
4. खंडित मूर्ति की पूजा शास्त्रों के अनुसार वर्जित है। अत: खंडित मूर्ति को तुरंत पूजा स्थल से हटाकर, उसे किसी पवित्र बहती हुई नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए।
5. घर के मंदिर में चमड़े से बनी चीजों को नहीं ले जाना चाहिए।
1. कभी भी श्री गणेश जी की तीन प्रतिमाएं न रखें।
2. घर के मंदिर में कभी भी दो शंख न रखें।
3. बड़ी मुर्तियां न रखें, शिवलिंग भी आपके अंगुठे के आकार से बड़ा न हो। शिवलिंग अत्यधिक संवेदनशील होता है, इस कारण घर के मंदिर में छोटा सा शिवलिंग रखना ही शुभ माना जाता है।
4. खंडित मूर्ति की पूजा शास्त्रों के अनुसार वर्जित है। अत: खंडित मूर्ति को तुरंत पूजा स्थल से हटाकर, उसे किसी पवित्र बहती हुई नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए।
5. घर के मंदिर में चमड़े से बनी चीजों को नहीं ले जाना चाहिए।
6. घर के मंदिर में मृतकों व पूर्वजों के चित्र भी नहीं लगाने चाहिए, इनके चित्र घर की दक्षिण दिशा क्षेत्र में लगाए जा सकते हैं, लेकिन मंदिर में नहीं।
7. घर के मंदिर के ऊपर कबाड़ या भारी चीजें न रखें।
8. पूजन के दौरान ध्यान रहे कि पूजा के बीच में दीपक न बुझे, ऐसा होने पर पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता।
9. देवी-देवताओं के हार-फूल, पत्तियां कभी भी बिना धोए अर्पित न करें यानि इन्हें चढ़ाने से पहले साफ पानी से अच्छी तरह से धो लें।
10. पूजन में कभी भी खंडित दीपक का उपयोग न करें। इसके अलावा घी के दीपक के लिए रूई की बत्ती और तेल के दीपक के लिए लाल धागे की बत्ती का उपयोग श्रेष्ठ बताया जाता है।
7. घर के मंदिर के ऊपर कबाड़ या भारी चीजें न रखें।
8. पूजन के दौरान ध्यान रहे कि पूजा के बीच में दीपक न बुझे, ऐसा होने पर पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता।
9. देवी-देवताओं के हार-फूल, पत्तियां कभी भी बिना धोए अर्पित न करें यानि इन्हें चढ़ाने से पहले साफ पानी से अच्छी तरह से धो लें।
10. पूजन में कभी भी खंडित दीपक का उपयोग न करें। इसके अलावा घी के दीपक के लिए रूई की बत्ती और तेल के दीपक के लिए लाल धागे की बत्ती का उपयोग श्रेष्ठ बताया जाता है।
इन बातों का रखेंगे ध्यान तो पाएंगे विशेष कृपा और आशीर्वाद :
1 . ऐसा स्थान जहां पूजा न हो...
शिवलिंग को कभी भी ऐसे स्थान पर स्थापित न करें जहां आप पूजन न करते हों। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि आप शिवलिंग की पूजा पूरी विधि-विधान से न कर पा रहे हो या ऐसा करने में असमर्थ हो तो भूल से भी शिवलिंग को घर पर न रखे, क्योकिं यदि कोई व्यक्ति घर पर शिवलिंग स्थापित कर उसकी विधि विधान से पूजा नहीं करता तो यह महादेव शिव का अपमान माना जाता है, इस प्रकार वह व्यक्ति किसी अनर्थ को आमंत्रित करता है।
शिवलिंग को कभी भी ऐसे स्थान पर स्थापित न करें जहां आप पूजन न करते हों। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि आप शिवलिंग की पूजा पूरी विधि-विधान से न कर पा रहे हो या ऐसा करने में असमर्थ हो तो भूल से भी शिवलिंग को घर पर न रखे, क्योकिं यदि कोई व्यक्ति घर पर शिवलिंग स्थापित कर उसकी विधि विधान से पूजा नहीं करता तो यह महादेव शिव का अपमान माना जाता है, इस प्रकार वह व्यक्ति किसी अनर्थ को आमंत्रित करता है।
2 . भूल से भी न चढ़ाएं केतकी का फूल ...
पुराणों में केतकी के फूल को शिव पर न चढ़ाने के पीछे एक कथा छिपी है इस कथा के अनुसार जब एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु जी माया से प्रभावित होकर अपने आपको एक -दूसरे से सर्वश्रेष्ठ बताने लगे तब महादेव उनके सामने एक तेज प्रकाश के साथ ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए, ज्योतिर्लिंग के रूप में भगवान शिव ने ब्रह्मा और विष्णु से कहा की आप दोनों में जो भी मेरे इस रूप के छोर को पहले पा जाएगा वह सर्वशक्तिमान होगा।
पुराणों में केतकी के फूल को शिव पर न चढ़ाने के पीछे एक कथा छिपी है इस कथा के अनुसार जब एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु जी माया से प्रभावित होकर अपने आपको एक -दूसरे से सर्वश्रेष्ठ बताने लगे तब महादेव उनके सामने एक तेज प्रकाश के साथ ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए, ज्योतिर्लिंग के रूप में भगवान शिव ने ब्रह्मा और विष्णु से कहा की आप दोनों में जो भी मेरे इस रूप के छोर को पहले पा जाएगा वह सर्वशक्तिमान होगा।
भगवान विष्णु शिव के ज्योतिर्लिंग के ऊपरी छोर की ओर गए तथा ब्रह्मा जी नीचे के छोर की ओर गए। काफी दूर चलते चलते भी जब दोनों थक गए तो भगवान विष्णु ने शिव के सामने अपनी पराजय स्वीकार ली है परन्तु ब्रह्मा जी ने अपने पराजय को छुपाने के लिए एक योजना बनाई। उन्होंने केतकी के पुष्पों को साक्षी बनाकर शिव से कहा की उन्होंने शिव का अंतिम छोर पा लिया है। ब्रह्मा जी के इस झूठ के कारण शिव ने क्रोध में आकर उनके एक सर को काट दिया तथा केतकी के पुष्प पर भी पूजा अर्चना में प्रतिबंध लगा दिया।
3. तुलसी पर प्रतिबंध...
शिव पुराण की एक कथा के अनुसार जालंधर नामक एक दैत्य को यह वरदान था की उसे युद्ध में तब तक कोई नहीं हरा सकता जब तक उसकी पत्नी वृंदा पतिव्रता रहेगी, उस दैत्य के अत्याचारों से इस सृष्टि को मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने वृंदा का पतिव्रता होने का संकल्प भंग किया व महादेव ने जलंधर का वध। इसके बाद वृंदा तुलसी में परिवर्तित हो चुकी थी व उसने अपने पत्तियों का महादेव की पूजा में प्रयोग होने पर प्रतिबंध लगा दिया। यही कारण की है कि शिवलिंग की पूजा पर कभी तुलसी के पत्तियों का प्रयोग नहीं किया जाता।
शिव पुराण की एक कथा के अनुसार जालंधर नामक एक दैत्य को यह वरदान था की उसे युद्ध में तब तक कोई नहीं हरा सकता जब तक उसकी पत्नी वृंदा पतिव्रता रहेगी, उस दैत्य के अत्याचारों से इस सृष्टि को मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने वृंदा का पतिव्रता होने का संकल्प भंग किया व महादेव ने जलंधर का वध। इसके बाद वृंदा तुलसी में परिवर्तित हो चुकी थी व उसने अपने पत्तियों का महादेव की पूजा में प्रयोग होने पर प्रतिबंध लगा दिया। यही कारण की है कि शिवलिंग की पूजा पर कभी तुलसी के पत्तियों का प्रयोग नहीं किया जाता।
4 . हल्दी पर रोक
हल्दी का प्रयोग स्त्रियां अपनी सुंदरता निखारने के लिए करती है व शिवलिंग महादेव शिव का प्रतीक है अत: हल्दी का प्रयोग शिवलिंग की पूजा करते समय नहीं करनी चाहिए।
हल्दी का प्रयोग स्त्रियां अपनी सुंदरता निखारने के लिए करती है व शिवलिंग महादेव शिव का प्रतीक है अत: हल्दी का प्रयोग शिवलिंग की पूजा करते समय नहीं करनी चाहिए।
5 . कुमकुम का उपयोग
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार कुमकुम का प्रयोग एक हिन्दू महिला अपने पति के लम्बी आयु के लिए करती है, जबकि भगवान शिव विध्वंसक की भूमिका निभाते है अत: संहारकर्ता शिव की पूजा में कभी भी कुमकुम का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार कुमकुम का प्रयोग एक हिन्दू महिला अपने पति के लम्बी आयु के लिए करती है, जबकि भगवान शिव विध्वंसक की भूमिका निभाते है अत: संहारकर्ता शिव की पूजा में कभी भी कुमकुम का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
6 . शिवलिंग का स्थान बदलते समय
शिवलिंग का स्थान बदलते समय उसके चरणों को सपर्श करें तथा एक बर्तन में गंगाजल का पानी भरकर उसमे शिवलिंग को रखे और यदि शिवलिंग पत्थर का बना हुआ हो तो उसका गंगाजल से अभिषेक करें।
शिवलिंग का स्थान बदलते समय उसके चरणों को सपर्श करें तथा एक बर्तन में गंगाजल का पानी भरकर उसमे शिवलिंग को रखे और यदि शिवलिंग पत्थर का बना हुआ हो तो उसका गंगाजल से अभिषेक करें।
7 . शिवलिंग पर कभी पैकेट का दूध ना चढ़ाएं
शिवलिंग की पूजा करते समय हमेशा ध्यान रहे की उन पर पासच्युराईज्ड दूध ना चढ़ाएं, शिव को चढऩे वाला दूध कच्चा,ठंडा और सादा होना चाहिए।
शिवलिंग की पूजा करते समय हमेशा ध्यान रहे की उन पर पासच्युराईज्ड दूध ना चढ़ाएं, शिव को चढऩे वाला दूध कच्चा,ठंडा और सादा होना चाहिए।
8 . शिवलिंग किस धातु का हो
शिवलिंग को पूजा घर में स्थापित करने से पूर्व यह ध्यान रखे की शिवलिंग में धातु का बना एक नाग लिपटा हुआ हो। शिवलिंग सोने, चांदी या ताम्बे से निर्मित होना चाहिए।
शिवलिंग को पूजा घर में स्थापित करने से पूर्व यह ध्यान रखे की शिवलिंग में धातु का बना एक नाग लिपटा हुआ हो। शिवलिंग सोने, चांदी या ताम्बे से निर्मित होना चाहिए।
9 . शिवलिंग को रखे जलधारा के नीचे
यदि आपने शिवलिंग को घर पर रखा है तो ध्यान रहे की शिवलिंग पर सदैव जलधारा बरकरार रहे अन्यथा वह नकरात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।
यदि आपने शिवलिंग को घर पर रखा है तो ध्यान रहे की शिवलिंग पर सदैव जलधारा बरकरार रहे अन्यथा वह नकरात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।
10 . कौन सी मूर्ति हो शिवलिंग के समीप
शिवलिंग के समीप सदैव गोरी व गणेश की मूर्ति होनी चाहिए, शिवलिंग कभी भी अकेले नहीं होना चाहिए।
शिवलिंग के समीप सदैव गोरी व गणेश की मूर्ति होनी चाहिए, शिवलिंग कभी भी अकेले नहीं होना चाहिए।
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