ऐस्ट्रो धर्म :
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को माता लक्ष्मी के निमित्त व्रत किया जाता है। इसे श्रीलक्ष्मी व्रत व श्रीपंचमी व्रत भी कहते हैं। इस बार यह व्रत 29 मार्च, रविवार को है। इस व्रत को करने से धन व ऐश्वर्य मिलता है। लक्ष्मी पंचमी व्रत मार्गशीर्ष और माघ माह के शुक्लपक्ष की पंचमी पर भी किया जाता है। जिनका महत्व भी अलग-अलग होता है। लेकिन साल की पहली श्री पंचमी होने से चैत्र माह की पंचमी को महत्वपूर्ण माना गया है।
पूजा विधि
- यह व्रत चैत्र शुक्ल पंचमी को किया जाता है इसलिए चतुर्थी तिथि को नहाकर साफ कपड़े पहनकर व्रत का संकल्प लें।
- घी, दही एवं भात का भोजन करें। पंचमी को स्नान करके व्रत रखें देवी लक्ष्मी का पूजन करें।
- पूजा में धान्य (गेहूं, चावल, जौ आदि), हल्दी, अदरक, गन्ना व गुड़ आदि अर्पित करके कमल के पुष्पों का लक्ष्मी-सूक्त से हवन करें।
- कमल न मिले तो बेल के टुकड़ों का और वे भी न हों तो केवल घी का हवन करें।
- इस दिन कमल से युक्त तालाब में स्नान करके सोना दान करने से लक्ष्मीजी अति प्रसन्न होती है।
व्रत और पूजा का महत्व
श्रीपंचमी का व्रत करने से महिलाओं को सौभाग्य प्राप्ति होती है। घर में समृद्धि और सुख बढ़ता है। दरिद्रता और रोग नहीं होते। इस व्रत के प्रभाव से परिवार के सदस्यों की उम्र बढ़ती है। कई जगह ये व्रत मनोकामना पूरी करने के संकल्प के साथ किया जाता है। चैत्र माह के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि को लक्ष्मी जी पूजा और व्रत करने से हर तरह की सिद्धि प्राप्त होती है और सोचे हुए काम भी पूरे हो जाते हैं।
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