कैलाश मानसरोवर यात्रा करना  हर हिन्दू अपना सौभाग्य हैं  . कैलाश मानसरोवर  को शिव-पार्वती का घर माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मानसरोवर के पास स्थित कैलाश पर्वत पर भगवान भोले का धाम है। यही वह पावन जगह है, जहाँ शिव-शंभू विराजते हैं। पुराणों के अनुसार यहाँ शिवजी का स्थायी निवास होने के कारण इस स्थान को 12 ज्येतिर्लिंगों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। कैलाश बर्फ़ से आच्छादित 22,028 फुट ऊँचे शिखर और उससे लगे मानसरोवर को 'कैलाश मानसरोवर तीर्थ' कहते है और इस प्रदेश को मानस खंड कहते हैं। हर साल कैलाश-मानसरोवर की यात्रा करने, शिव-शंभू की आराधना करने, हज़ारों साधु-संत, श्रद्धालु, दार्शनिक यहाँ एकत्रित होते हैं, जिससे इस स्थान की पवित्रता और महत्ता काफ़ी बढ़ जाती है। कैलाश-मानसरोवर उतना ही प्राचीन है, जितनी प्राचीन हमारी सृष्टि है। इस अलौकिक जगह पर प्रकाश तरंगों और ध्वनि तरंगों का समागम होता है, जो ‘ॐ’ की प्रतिध्वनि करता है। इस पावन स्थल को 'भारतीय दर्शन के हृदय' की उपमा दी जाती है, जिसमें भारतीय सभ्यता की झलक प्रतिबिंबित होती है।


मानसरोवर झील

मानसरोवर झील तिब्बत में स्थित एक झील है। यह झील लगभग 320 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई है। इसके उत्तर में कैलाश पर्वत तथा पश्चिम में रक्षातल झील है। पुराणों के अनुसार विश्व में सर्वाधिक समुद्रतल से 17 हज़ार फुट की उंचाई पर स्थित 120 किलोमीटर की परिधि तथा 300 फुट गहरे मीठे पानी की मानसरोवर झील की उत्पत्ति भगीरथ की तपस्या से भगवान शिव के प्रसन्न होने पर हुई थी। ऐसी अद्भुत प्राकृतिक झील इतनी ऊंचाई पर किसी भी देश में नहीं है। पुराणों के अनुसार शंकर भगवान द्वारा प्रकट किये गये जल के वेग से जो झील बनी, कालांतर में उसी का नाम 'मानसरोवर' हुआ।
राक्षस ताल

राक्षस ताल लगभग 225 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र, 84 किलोमीटर परिधि तथा 150 फुट गहरे में फैला है। प्रचलित है कि राक्षसों के राजा रावण ने यहां पर शिव की आराधना की थी। इसलिए इसे राक्षस ताल या रावणहृद भी कहते हैं। एक छोटी नदी गंगा-चू दोनों झीलों को जोडती है।

कैलास पर रावण की शिव स्तुति
शिव महापुराण के अनुसार एक बार लंकापति रावण ने कई वर्षों तक लगातार शिव स्तुति की, लेकिन उसकी स्तुति का कोई प्रभाव भगवान शंकर की समाधि पर नहीं पड़ा, तब उसने कैलास पर्वत के नीचे घुसकर उसे हिलाने की कोशिश की ताकि भगवान शंकर उठकर उसकी इच्छानुसार वरदान प्रदान करें। उसकी इस इच्छा को जानकर शिव ने उसे पहले ही कैलास के नीचे दबा दिया, जिससे वह बाहर न निकल सके। पर्वत के नीचे दब जाने के बाद रावण शिव का प्यारा तांडव नृत्य करते हुए एक स्तोत्र रचकर गाने लगा, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उसे इच्छानुसार वरदान दिया।

कैलाश मानसरोवर यात्रा

कैलाश पर्वत - परिचय :- कैलाश पर्वत, जिसकी उँचाई 6740 मीटर है, हिमलयी अवरोध के उत्तर में स्थित है, जो पूर्णरूप से तिब्बत में है| यह अदभुत सोन्दर्य वाला पर्वत है जिसमें 4 फलक्‌ / आमुख हैं|यह चार महान धर्मों : तिब्बती बोद्धवाद, हिंदुवाद, जैन धर्म एवम बौद्ध पूर्ब् जीववादी धर्म : बॉन्पो के लिए अध्यात्मिक केंद्र है| तिब्बतीयों के लिए यह खांग रिम्पोचे (बर्फ का बहमुल्य रत्न) के रूप में जाना जाता है और वे इसे विश्‍व की नाभि के रूप में देखते हें| यह कहा जाता है कि इस पर्वत से एक धारा नज़दीक़ी झील में गिरती है और यहाँ से नदियाँ चार मुख्य दिशाओं में प्रभहित होती है|उत्त्तर की और सिंह मुख नदी , पूर्ब् की और अश्व मुख नदी, दक्षिण की और मयूर मुख नदी तथा पस्चिम की ओर गज़ मुख नदी |यह काफ़ी आश्‍चर्या की बात है कि चार प्रमुख नदियाँ - सिंध, यर्लांग सोँपो(ब्रह्मपुत्र), करनाली एवम सतलुज का उद्‍गम वास्तव में कैलाश पर्वत के पास से होता है| तिब्बत वासी यह विश्‍वास करते हें की यह एक ख़ूँख़ार दिखने वाले तांत्रिक देवता डेमचोक का निवास है जो यहाँ अपने जीवन साथी (पत्नी) डोर्जो फाम्मो के साथ रहता है | तिब्बत वासियों के लिए भी यह एक बहुत विशेष स्थान है जहाँ पर उनके कवि संत मिलारेपा ने गुफा में ध्यान लगाते हुए कई वर्ष बिताए थे | हिंदुओं के लिए कैलाश पर्वत , मेरु पर्वत की सांसारिक अभिव्यक्ति है की भ्राह्मांड का उनका अध्यात्मिक केन्द्र है , जिसका चित्रण 84,000 मील उँचें विलक्षण "विश्व स्तंभ" के रूप में किया गया है, जिसके चारों और अन्य सभी परिक्रमा करते हेँ , जिसकी जड़ें पाताल में हेँ एवं जिसकी चोटी स्वर्ग का चुंबन कर रही है | शिखर पर उनके परम श्रद्ढेया श्र्द्धेय भगवान शिव एवम उनकी धर्मपत्नी पार्वती निवास करती हैं|जैन धर्म , जो कि एक भारतीय धार्मिक समूह है, के अनुयायियों के लिए कैलाश वह स्थान है जहाँ पर उनके प्रथम संस्थापक ने जैन धर्म , जो कि एक भारतीय धार्मिक समूह है, के अनुयायियों के लिए कैलाश वह स्थान है जहाँ पर उनके प्रथम संस्थापक ने आत्मज्ञान प्राप्त किया था|

बहुत प्राचीन बौद्ध के पूर्वजों के लिए यह वह स्थान है जहाँ पर इसके संस्थापक शानरब, ऐसा कहा जाता है, स्वर्ग से अवतरित हुए थे| पहले यह प्राचीन बौद्ध साम्राज्य झांग चुंग का आध्यात्मिक केन्द्र था जिसमें एक बार संपूर्ण पाश्चिमी तिब्बत शामिल था| बौद्ध धर्म के अनुयायी अन्य धर्म के विपरीत दा क्षणवावत विरुद्ध दिशा में पर्वत की परिक्रमा करते हेँ| विगत सर्दीयो में,तीर्थयात्रिओं ने आत्मज्ञान प्राप्त करने या अपने पाप धोने के लिए,विशाल दूरीयों,विशेषकर उग्र मौसा और डाकुओं के हमलों का हिम्मत से सामना करते हुए असीम दूरीयों की लगातार यात्रा की |

वस्त्र और उपस्कर :-

कैलाश-मानसरोवर 16,000 से 19,500 फीट की उँचाई पर स्तिथ है| भारतीय तीर्थयात्रा का मौसम मानसून(जून- सेप्टेंबर) का है| तथापि, उच्चतर पहाड़ों पर कम बरसात होती है| उँचाई पर मौसम परिवर्तनशील और जोखिम-भरा होता है| दिन के दौरान सूरज गरम होता है| और त्त्वचा को नुकसान हो सकता है| उनी कपड़े और विंड चीटर्स ठंडी हवाओं का सामना करने के लिए आवश्यक है| वस्त्र हल्के , विंड-प्रूफ,वॉटर-रिपेलेंट और गरम होने चाईए| प्रत्येक यात्री को निम्नलिखित समान साथ ले जाने का परामर्श किया जाता है| विंड -प्रूफ जॅकेट -1. स्वेटर-2 पूरी बाजू, मंकी कैप-1,उनी और चमडे के दस्ताने -1 जोड़ा प्रत्येक ,उनी /कॉटन लॉंग जोन्स-2 जोड़े, उनी जुराब-4 जोड़े,कॉटन की जुराबें -4 जोड़े, जीन्स/पेंट-3,शॉट्स-2,शर्ट/टी शर्ट-6,चेन सहित अच्छी किस्म के धूप के चश्मे-1,हंटिंग /मार्चीग जुटे-2 जोड़े, धूप से बचने के लिए स्ट्रॉ हॅट-1,पानी की बोतल-1, दो अतिरिक्त सेट सेल और बल्ब के साथ टॉर्च लाइट-1,बड़ा रेन कोट -1,कॅमरा /धनराशि/ दवाइयों / कागजात के लिए बेल्ट पाउच-1,सामान के वॉटर प्रूफिंग के लिए बड़ी प्लास्टिक शीट-1,प्लेट /मग/ चम्मच-1 सेट, टायलेट पेपर,सन बर्न से बचाव के लिए सन क्रीम लोशन-1,मोमबत्ती, माचिस की डिब्बी/लाइटर बहुउद्देश्या चाकू-1, रबर के स्लीपर्स-1, जिप के साथ कॅनवस बॅग (सूटकेस की अनुमति नहीं है), वॉकिंग स्टिक, एक बेडशीट और तकिया का कवर व्यक्तिगत स्वचछता के लिए (मॅट्रेस,क्विल्ट /स्लीपिंग बॅग सभी कॅंप में उपलब्ध कारावाए करवाए जाते हेँ ), कॅमरा| प्रत्येक यात्री निजी प्रयोग हेतु खाद्य सामग्री ले जा सकता है: कुमाओं मंडल विकास निगम नाश्ता ; दोपहर तथा रात्रि का भोजन, और दिन में दो बार चाय की आपूर्ति करता है| (चायनीज साइड के लिए सूची बाद में प्रस्तुत की जाती है) |तथापि, प्रत्येक तीर्थयात्री कुछ सामग्री ले जा सकता है|निम्नलिखित की अनुशंसा की गयी है: बिस्कुट मीठा /नमकीन, सूखे फल, लेमन ड्रॉप ,चॉकलेट , टॉफी, सूप पाउडर, चीज़ क्यूब , च्छेउइंगम चूयिंगगम, तत्काल पेय (इंस्टेंट ड्रिंक), एलेकट्राल / ग्लूकोस | परिक्रमा के दौरान प्रयोग हेतु सामान्य सामग्री( अथार्त चाइनईज़ साइड से यात्रा करने पर): चाइनईज़ साइड से भोजन केवल तकलाकोट में ठहरने के दौरान उपलब्‍ध करवाया जाता है|अत: 9 दिनों के लिए चाइनीस साइड में प्रयोग करने हेतु खाद्य सामग्री अपने साथ ले जायें| वे अपनी सुविधा के लिए दिल्ली से ख़रीदकर साथ ले जाएँ|तीर्थ यात्रिओं का प्रत्येक समूह संयुक्त रूप से खरीदारी कर सकता है|सामग्री या तो पहले से पकी अंशत:, पहले से पकी हुई या पकाने में आसानी होनी चाईए | जहाँ तक संभव हो भोजन तरल रूप में लिया जाए| उच्च तुंगता पर खाना पकाने में अधिक समय लगता है| अनुशंसा की गई सामग्री हैं: आटा, चावल,दाल,सोयाबीन बड़ी,न्यूडल्स , सूप पॅकेट , पहले से पकी हुई सूजी,उपमा पॅकेट, पहले से पकी हुई सब्जी एवम दाल के डिब्बे,सलाद,मसाले, दूध पाउडर / कनडेन्स मिल्क, चीनी, कॉर्न फ्लेक्स /ज़ई /दलिया,क़ॉफ़ी /बोर्नविटा,सूजी या हलवा बनाने के लिए पहले से भूना हुआ रवा,घी,हवन व पूजा हेतु पूजा सामग्री |

औषधियाँ

परिक्रमा के दौरान प्रयोग हेतु सामान्य सामग्री(अर्थात चाइनईज़ साइड से यात्रा करने पर): चाइनईज़ साइड से भोजन केवल तकलाकोट में ठहरने के दौरान उपलब्‍ध करवाया जाता है|अत: 9 दिनों के लिए चाइनीस साइड में प्रयोग करने हेतु खाद्य सामग्री अपने साथ ले जायें| वे अपनी सुविधा के लिए दिल्ली से ख़रीदकर साथ ले जाएँ|तीर्थ यात्रिओं का प्रत्येक समूह संयुक्त रूप से ख़रीदकर साथ ले जाएँ|तीर्थयात्रिओं का प्रत्येक समूह संयुक्त रूप से खरीदारी कर सकता है| सामग्री या तो पहले से पकी हुई/ अंशत: , पहले से पकी हुई या पकाने में आसान होनी चाईए| जहाँ तक संभव हो भोजन तरल रूप में लिया जाए| उच्च तुंगता पर खाना पकाने में अधिक समय लगता है| अनुशंसा की गई सामग्री हैं: आटा,चावल,दाल,सोयाबीन बड़ी,नूडल्स , सूप पॅकेट, पहले से पकी हुई सूजी, उपमा पॅकेट, पहले से पकी हुई सब्जी एवम दाल के डिब्बे, सलाद , मसाले , दूध पाउडर /कॉंडेन्स मिल्क, चीनी, कॉर्न फ्लेक्स / ज़ई /दलिया, क़ॉफ़ी /बौर्नवीटा,सूजी या हलवा बनाने के लिए पहले से भुना हुआ रवा,घी,हवन व पूजा हेतु पूजा सामग्री|

कैमरा


जो एक कैमरा ले जाना चाहतें हैं वे ऐसा कर सकते हेँ|एक कागज़ पर यात्री का नाम और बॅच नंबर, कैमरा / वीडियो कैमरा के मेक और सीरियल नंबर ब्योरे के साथ टाइप होना चाईए और विदेश मंत्रालय के प्राधिकारियों को सोपा जाए| कैमरा को चीन के भीतर ले जाया जा सकता है या कोई विशेष अनुमति आवश्यक नहीं है| चुंकि उच्चतर तुंगताओं पर साव की गति तीव्रतर है, अत: अतिरिक्त बॅटरीया साथ ले जानी चाईए | धारचूला तक, सीमित अवधि के लिए , बॅटरी रीचार्ज करने के लिए पॉवर सुप्पलाई है, जो तकलाकोट पर भी उपलब्ध है| कैलाश मानसरोवर यात्रा के संचालन के दौरान भातिसी पोलिस की ज़िम्मेदारी 1:- तीर्थयात्रिओं का विस्त्तत चितिक्सा जाँच तीर्थयात्रा प्रारम्भ होने से पहले भातिसी पोलिस के बेस अस्पताल नई दिल्ली में किया जाता है | 2:- गुँजी से तीर्थयात्रिओं को सुरक्षा प्रदान करवाना | 3:- तीर्थयात्रिओं की उँचाई की दृष्‍टि को मध्यनज़र रखते हूए भातिसी पोलिस के चिकित्सा अधिकारिओ का एक दल गुँजी में चितिक्सा जाँच करता है| 4:- गुँजी से लिपुलेख पास एवम वापसी में लिपुलेख से गुँजी तक सुरक्षा , चिकित्सा एवम संचार की व्यवस्था उपलब्ध करवाना | 5:- इस तीर्थ यात्रा के साथ जुड़ी अगेन्सियों के साथ समन् 6:-प्राकृतिक एवम किसी भी आपदा की स्तिथि को निबटने के लिए हमेशा तैयार रहना | वय एवम मेल मिलाप करना|
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